भारत में मिर्जापुर विंध्य नगरी के तौर पर अपनी पहचान रखता है. यहां कण-कण में देवी मां का वास माना जाता है. मिर्जापुर में दुर्गम पहाड़ों में मौजूद प्राचीन देवालयों का अहम स्थान है. इन्हीं प्राचीन धार्मिक धरोहरों में एक सुप्रसिद्ध नाम अष्टभुजा पहाड़ी पर मौजूद षष्ठी माता का मंदिर है, जो निसंतान दंपतियों को संतान का सुख देने के लिए जाना जाता है. तो चलिए हम भी जानते हैं माता के इस मंदिर और उससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में विस्तार से.

दरअसल, संतान सुख की कामना हर किसी के मन में होती है. इसके बगैर दांपत्य जीवन सफल नहीं माना जाता है. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में विंध्याचल के पावन धरती स्थित षष्ठी माता का मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर पूजा करने से निसंतान दंपति की संतान पाने की मुराद पूरी हो जाती है. भक्त माता की पूजा अर्चना कर अपने मन की मुराद मांगते हैं .

भर जाती है सुनी गोद
अध्यात्मिक धर्मगुरु त्रियोगी नारायण उर्फ मिठ्ठू मिश्र ने बताया कि विंध्य क्षेत्र के पावन धरा पर स्थित मां षष्ठी के कृपा से अनगिनत लोगों के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन हुआ है. उन्होंने बताया कि यह मां का धाम विंध्य त्रिकोण के अंतर्गत आता है. विंध्याचल में शायद ही ऐसा परिवार हो जो मां के चमत्कारिक शक्ति से अनजान हो . मां षष्ठी के कृपा से 10 से 15 सालों तक रहने वाली सुनी गोद भी भर जाती है, इसके काफी संख्या में लोग गवाह हैं. यही वजह है कि पुत्र/पुत्री के प्राप्ति के लिए यहां काफी संख्या में लोग दर्शन पूजन करने जाते हैं.

शादी के 13 साल बाद हुआ पुत्र
विंध्याचल के रहने वाले दीपक मिश्रा ने बताया कि मां की अद्भुत कृपा है. उनको लगभग 7 सालों से संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी. वो डॉक्टरों के संपर्क में थे, दवा करवा रहे थे. कुछ रिस्पॉन्स नजर नहीं आ रहा था. षष्ठी मां के दरबार में गए, मन्नत मांगी. जिसके बाद उनको पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई. वो आगे बताते हैं कि उनकी बहन को भी संतान प्राप्ति को लेकर 13 साल से ज्यादा समय से बाधा थी. लेकिन अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित मां के दरबार में जाने के बाद बहन को साल भर के अंदर ही पुत्र की प्राप्ति हुई.