गीता में कहा गया है कि आत्मा अजर-अमर है, जिस प्रकार व्यक्ति अपने कपड़ों को बदलता है, वैसे ही आत्मा भी शरीर को बदलती है. गरुड़ पुराण में मनुष्य के जीवन से मृत्यु तक के कर्म का लेखा-जोखा बताया गया है. इसी आधार पर मनुष्य के पाप एवं पुण्य निर्धारित होते हैं.

ज्योतिषाचार्य पं. पंकज पाठक ने बताया कि मान्यता है कि व्यक्ति को अपनी मृत्यु के बाद कर्मों के आधार पर स्वर्ग एवं नरक की प्राप्ति होती है. पुराण में यह भी बताया गया कि कर्मों के आधार पर अगले जन्म में व्यक्ति क्या बनेगा. जानिए इस विशेष में गुरुण पुराण क्या कहता है.

– जो व्यक्ति अपने गुरु का अपमान करते हैं तो उसे भगवान का अपमान माना गया है. ऐसा करने वाले व्यक्ति के लिए नरक के द्वार खोलने जैसा है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि गुरु से कुतर्क करने वाले शिष्य अगले जन्म में जल रहित वन में ब्रह्मराक्षस बनता है. वहीं जो व्यक्ति महिलाओं का शोषण करते हैं या कराते हैं, ऐसे व्यक्ति अगले जन्म में भयानक रोगों से पीड़ित होते हैं. साथ ही अप्राकृतिक रूप से संबंध बनाने वाला व्यक्ति अगले जन्म में नपुंसक तथा गुरु पत्नी के साथ दुराचार करने वाला कुष्ठ रोगी होता है.

– जो व्यक्ति माता-पिता या भाई-बहन को प्रताड़ित करता है, ऐसे व्यक्ति को अगला जन्म तो मिलता है, लेकिन उस व्यक्ति के धरती पर आने से पहले ही उसकी मृत्यु गर्भ में हो जाती है. पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति हिंसा करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं, जैसे लूटपाट, जानवरों को सताना या शिकार खेलने वाले व्यक्ति अगले जन्म में किसी कसाई के हत्थे चढ़ने वाला बकरा बनते हैं.


– यदि कोई व्यक्ति महिलाओं वाला आचरण करता है एवं अपने स्वभाव में महिलाओं वाली आदतें ले आता है, तब ऐसे व्यक्ति को अगले जन्म में स्त्री का रूप मिलता है. साथ ही गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति छल, कपट एवं धोखा देते हैं वो अगले जन्म में उल्लू बनते हैं. साथ ही व्यक्ति झूठी गवाही देता है वह अगले जन्म में अंधा पैदा होता है.

– जो व्यक्ति स्त्री की हत्या करता है, गर्भपात करने या कराने वाला भिल्ल रोगी, गाय की हत्या करने वाला मूर्ख एवं कुबड़ा, ये दोनों नरक की यातनाएं भोगने के बाद अगले जन्म में चांडाल योनी में ही पैदा होते हैं. साथ ही अगर कोई मृत्यु के समय भगवान का नाम लेता है तो वो मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है. इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि मरते समय राम का नाम लेना चाहिए. व्यक्ति को भगवान नाम का ही सहारा लेना चाहिए, इससे जिंदगी में किए गए पाप कट जाते हैं.