भोपाल | मध्य प्रदेश में सहरिया जनजाति में बुरी तरह से टीबी रोग फैला हुआ है. इस जनजाति में टीबी के सबसे ज्यादा रोगी पाए गए. आईसीएमआर (ICMR) की रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है. प्रदेश के 7 जिलों में सहरिया जनजाति के लोग टीबी रोग से अधिक पीड़ित हो रहे हैं. इस रिपोर्ट का अध्ययन कर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने इस रोग को जड़ से खत्म करने की बात कही.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की रिसर्च में सहरिया जनजाति में टीबी रोगी अधिक होने की बात सामने आई है. श्योपुर में 5000 लोगों की जांच की गई. इसमें 507 लोग टीबी पॉजिटिव पाए गए हैं. इस तरह प्रदेश के सात जिलों श्योपुर, शिवपुरी, अशोकनगर, गुना, ग्वालियर, भिंड और मुरैना में सहरिया जनजाति के लोग टीबी रोग से ज्यादा पीड़ित हो रहे हैं. टीबी को खत्म करने के लिए श्योपुर जिले में साल की शुरुआत से ही पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है.

इस जनजाति में टीबी होने के तीन मुख्य कारण

सहरिया जनजाति में टीबी होने के तीन मुख्य कारण बताए जा रहे हैं. इनमें से पहला है पर्याप्त पोषण आहार नहीं मिलने से इम्युनिटी कमजोर होना. सहरिया जनजाति पिछड़ी जनजाति है. आर्थिक रुप से कमजोर होने के कारण इन्हें पर्याप्त पोषण आहार नहीं मिल पाता है. इस जनजाति में टीबी होने का दूसरा कारण ये है कि ये लोग बीड़ी और शराब बहुत ज्यादा पीते हैं. इसके अलावा ज्यादातर आदिवासी परिवार एक कमरे के घर में रहते हैं इनमें वेंटिलेशन नहीं होता है. इसलिए एक बार परिवार में किसी एक को यह बीमारी होने पर वो जल्द ही बाकी में भी फैल जाती है. जबकि टीबी मरीज को हमेशा सबसे दूर रखना चाहिए.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का बयान

आई सी एम आर (ICMR) की रिसर्च पर टीबी के मामले में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का बयान सामने आया है. उन्होंने मीडिया के सवाल पर कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए केंद्र और राज्य सरकार यह अभियान चला रहा है. यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि टीबी बीमारी को जड़ से खत्म किया जाए. इसके लिए आई सी एम आर की रिपोर्ट का भी हम अध्ययन करेंगे.