शहर जबलपुर के तिलवारा घाट के समीप स्थित संत रविदास मंदिर शहर के दलित प्रतीक गुरु रविदास को समर्पित है. संत रविदास के इस मंदिर का पुनः निर्माण होना है, जिसके बाद यह मंदिर क्षेत्र का सबसे बड़ा संत रविदास मंदिर कहलाएगा.

51 लाख की लागत से होगा पुनः निर्माण
सूर्यवंशी संत रविदास सभा समिति के महामंत्री रामकृपाल चौधरी के अनुसार, 1976 में इस समिति का गठन किया गया था. संत रविदास मंदिर की नींव भी 1976 में ही रखी गई थी. रविदास जी के इस मंदिर का पुनः निर्माण लगभग 51 लाख रुपये की लागत से किया जाना है. इसके बाद यह मंदिर जबलपुर का एकमात्र संत रविदास का सबसे भव्य मंदिर कहलाएगा.

6 फीट की प्रतिमा
महामंत्री ने बताया कि मंदिर में स्थापित की जाने वाली संत रविदास जी की प्रतिमा लगभग 6 फीट की है और समिति के सदस्यों द्वारा ही मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया जाएगा. जिसमें सभी सदस्यों द्वारा चंदा एकत्र कर 51 लाख की लागत से इस मंदिर को बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया है. इसके बाद संविधान चौक से आने जाने-वाले लोगों को यह मंदिर दूर से दिखाई देगा और सभी रविदास के दर्शन कर सकेंगे.
कौन थे संत रविदास
संत रविदास का जन्म माघ मास की पूर्णिमा में 1376 को हुआ था. रविदास के पिता का नाम राहु और माता का नाम करमा बताया जाता है. इनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता है. इन्हें संत रविदास, गुरु रविदास, रैदास, रूहिदास और रोहिदास जैसे कई नामों से जाना जाता है. रविदास जयंती और माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. साथ ही पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, संत रविदास का जन्म रविवार के दिन हुआ था इसलिए इनका नाम रविदास रखा गया. इनको संत शिरोमणि सतगुरु की उपाधि दी गई है. इन्होंने रविदासीया पंथ की स्थापना की और इनके रचे कुछ भजन सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में भी हैं. इन्होंने जात-पात का घोर खंडन करते हुए आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया.