सतना  मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अभिरक्षा में पुलिस की गोली से संदेही की मृत्यु पर राज्य शासन को मृतक के वैध वारिसों को दस लाख रूपये अदा करने की अनुशंसा की है। मामला सतना जिले का है।
आयोग के प्रकरण क्र. 5731/सतना/2020 के अनुसार 27 सितम्बर 2020 को सतना जिले के सिंहपुर थानें में अभिरक्षा के दौरान राजपति कुशवाहा को पुलिस उप निरीक्षक विक्रम पाठक की शासकीय सर्विस रिवाल्वर से चली गोली के कारण सिर पर पहुंची प्राणघातक गंभीर फायर इंजुरी के कारण उसकी अप्राकृतिक मृत्यु हो गई थी। इससे मृतक के जीवन जीने के मौलिक/मानव अधिकार का घोर हनन होने पर आयोग ने यह अनुशंसा की है। राज्य शासन चाहे तो, यह राशि संबंधित दोषियों से वसूल कर सकता है।
अपनी अनुशंसा में आयोग ने यह भी कहा है कि चूंकि अभिरक्षा में लिये गये राजपति कुशवाहा की मृत्यु के संबंध में पुलिस उप निरीक्षक विक्रम पाठक और आरक्षक क्रमांक 960 आशीष सिंह के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण में अभियोग पत्र (चालान) भी सक्षम न्यायालय में पेश हो चुका है, इसलिए इस मामले का न्यायसंगत विनिश्चिय संबंधित न्यायालय द्वारा ही किया जाये। इस घटना के संबंध में पुलिस उप निरीक्षक और आरक्षक के विरूद्ध विभागीय जांच भी लंबित है, अतः ऐसी विभागीय जांच का निराकरण भी नियम और विधिनुसार सक्षम अधिकारी द्वारा ही किया जाये।
राज्य शासन यह भी सुनिश्चित करे कि किसी भी थाने पर पंजीबद्ध आपराधिक प्रकरण में यदि किसी व्यक्ति को संदेह के आधार पर या सुनिश्चित रूप से उसके ऐसे आपराधिक मामले की संलिप्तता पाये जाने पर पुलिस द्वारा अभिरक्षा में लेते हुए उसे थाने या पुलिस चौकी पर लाया जाता है, तो तत्काल ऐसी कार्यवाही का इंद्राज संबधित थाने/पुलिस चौकी के रोजनामचा रजिस्टर में किया जावे, जिससे पुलिस द्वारा इस प्रकार से अभिरक्षा में पुलिस थाने या पुलिस चौकी पर लाये जाने वाले व्यक्तियों के संबंध में पारदर्शिता रहे और उसके अभाव में ऐसे व्यक्तियों को प्राप्त वैधानिक, संवैधानिक और मानव अधिकार के उल्लंघन की कोई आशंका या परिस्थिति उत्पन्न न हो सके।
साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि प्रत्येक थाने और पुलिस चौकी में सीसीटीवी कैमरा लगाने की प्रक्रिया के दौरान ही ऐसे थाने/पुलिस चौकी से संबंधित कक्ष (जिसमें पूछताछ के लिए लाये अथवा गिरफ्तार कर लाये गये व्यक्ति से पूछताछ की जाती है) में भी सीसीटीवी कैमरा लगाये जाये, जिससे ऐसी घटना होने पर जांच करने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और अन्य जांचकर्ता अधिकारियों को घटना की संपूर्ण जानकारी हो सके और उसके आधार पर ऐसी घटना पर आगामी कार्यवाही भी प्रभावी रूप से हो सके।