नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले नियुक्त हुए दो चुनाव आयुक्तों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में शीर्षस्थ न्यायालय ने दो टूक कहा कि हम इसमें दखल नहीं दे सकते, क्योंकि इससे अव्यवस्था फैल सकती है। इसी के साथ चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को बरकरार रखा है। बता दें कि हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारियों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया।
मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पाया कि दोनों चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधी के खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस चरण में हम दखल नहीं देंगे. चुनाव आ रहे हैं, ऐसे में दखल देने पर अव्यवस्था फैल जाएगी। बता दें कि अनूप चंद्र पांडे के 14 फरवरी को सेवानिवृत्त होने और आठ मार्च को अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद निर्वाचन आयोग में ये पद खाली हो गए थे, जिसके बाद दोनों की नियुक्ति हुई थी। हालांकि, याचिका खारिज करने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि दो घंटे में 200 लोगों की स्क्रीनिंग कैसे हो गई? जस्टिस दीपांकर दत्ता ने एसजी से पूछा कि क्या नेता प्रतिपक्ष को समय नहीं देना चाहिए था? 200 नामों के लिए उनको सिर्फ दो घंटे क्यों दिए… पारदर्शिता सिर्फ होना ही नहीं दिखना भी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि जो अभी चुनाव आयुक्त नियुक्त हुए हैं, उन पर याचिकाकर्ताओं ने कोई सवाल नहीं उठाया है। वो सवाल प्रकिया को लेकर उठा रहे हैं और उनकी इस दलील में दम है। आपको ध्यान रखना चाहिए कि चयन समिति के सदस्यों को योग्य नाम पर विचार के लिए पर्याप्त मौका मिल जाए।
73 सालों से ऐसा हो रहा, अब क्यों हुई परेशानी
केंद्र सरकार ने कहा है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन समिति में न्यायिक सदस्य की मौजूदगी चुनाव आयोग की स्वतंत्रता के लिए जरूरी नहीं है। पिछले 73 साल से देश में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तो केंद्र सरकार द्वारा ही हो रही थी, तो अब नई नियुक्ति पर विवाद क्यों किया जा रहा है। इसके साथ ही दो चुनाव आयुक्तों की हालिया नियुक्ति का बचाव किया गया है। प्रधानमंत्री, उनकी कैबिनेट के एक सहयोगी और विपक्ष के नेता के एक पैनल ने 14 मार्च को सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे में कहा है कि पिछले 73 साल से देश में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तो केंद्र सरकार द्वारा ही हो रही थी, तो अब नई नियुक्ति पर विवाद क्यों किया जा रहा है। इसके साथ ही दो चुनाव आयुक्तों की हालिया नियुक्ति का बचाव किया गया है। प्रधानमंत्री, उनकी कैबिनेट के एक सहयोगी और विपक्ष के नेता के एक पैनल ने 14 मार्च को सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था।