भोपाल। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के भीतर अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रेशर ग्रुप तैयार हो रहा है। लोग संगठन के समानांतर बैठकें करके चार सीटों पर हवा देने की कोशिश में जुट गया है। भाजपा की तरह इसमें कांग्रेस के भी ओबीसी नेताओं को भी जोडऩे के प्रयास हो रहे हैं। इस प्रेशर ग्रुप की लगातार बेठकें हो रही हैं।
सोशल मीडिया पर पिछड़ा वर्ग महामोर्चा के नाम से संगठन बनाया गया है। भाजपा के लिए चिंता की बात इसलिए हो सकती है कि इस मोर्चे में उसके ही संगठन से जुड़े पदाधिकारी हैं, जो ओबीसी वर्ग की उपेक्षा को मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। सोशल ग्रुप में ऐसी पोस्ट लेकर उतर रहे हैं, जिससे यह साबित हो सके कि किस तरह से राजनीति में ऊंची जातियों का वर्चस्व है। जनप्रतिनिधियों की जातियों के उल्लेख के साथ पोस्ट की जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि 23 मई को पार्टी के ओबीसी ग्रुप के नेताओं की एक बैठक पूर्व एमआईसी सदस्य के यहां हुई। इस बैठक में पिछड़े वर्ग के नेता शामिल हुए। इसके बाद पिछड़ा वर्ग महामोर्चा वाट्सएप ग्रुप बना। जिसमें एडमिन भाजपा के पदाधिकारी है। जिसमें भाजपा नेता ने पार्टी में पिछड़े वर्ग की उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा कि पिछड़े वर्ग को चुनाव में पार्टी से मात्र एक टिकट मिली। इस चुनाव में आठ में से चार टिकट मिलनी चाहिए। इस पोस्ट के बाद पार्टी अगड़ों और पिछड़ों को बीच तनातनी का दौर शुरू हो गया। इसके बाद विजय नगर स्थित होटल में ओबीसी नेताओं की एक बैठक हुई, सूत्र बताते हैं कि इस बैठक में टिकट नहीं मिलने की स्थिति में पश्चिम और मध्य विधानसभा चुनाव में समानांतर उम्मीदवार उतारने तक तैयारी पर चर्चा हुई। ग्रुप के सदस्यों ने ही इसका स्क्रीन शार्ट लेकर वायरल कर दिया। इसी तरह एक बैठक पूर्व जेडीए उपाध्यक्ष के यहां भी हुई।
ओबीसी वर्ग को साधने के लिए भाजपा ने पूर्व महापौर प्रभात साहू को चार सीटों वाले जबलपुर शहर की कमान दी है। वहीं, इस वर्ग के अन्य लोगों को भी संगठन में तरजीह मिली है। लेकिन संगठन महामोर्चा में भाजपा नेताओं की बढ़ती भागीदारी को नहीं रोक पा रहे हैं। बल्कि हर बैठक के बाद प्रेशर ग्रुप के सदस्यों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिससे भाजपा के भीतर का माहौल खदबदाने लगा है। सोशल मीडिया पर आ रही पोस्ट के बाद महामोर्चा से जुड़े सदस्यों की कोशिश भाजपा के साथ कांग्रेस के ओबीसी नेताओं को भी साधने की है। ताकि वह भी उनके चार सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों की दावेदारी को उनकी भी सहमति हासिल कर सकें। इसको लेकर बैठकों में कांग्रेस के ओबीसी नेताओं को भी शामिल किया जा रहा है। इसके लिए बकायदा उनको सूचित किया गया है।