उत्तराखंड के नैनीताल जिले में वैसे तो कई पौराणिक मंदिरों के साथ ही पौराणिक स्थान भी हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं. ऐसा ही एक पौराणिक स्थल नैनीताल से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसका नाम है नौकुचियाताल, जो अपने 9 कोनों के लिए जाना जाता है. पर्यटक स्थल होने के साथ ही इस जगह का आध्यात्मिक महत्व भी कहीं ज्यादा है. नौकुचियाताल में झील के किनारे हर की पौड़ी मंदिर (Har ki Pauri in Naukuchiatal) भी स्थित है, जिसकी काफी मान्यता है. यहां समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं.

नौकुचियाताल निवासी डॉ विनोद पाठक ने कहा कि हर की पौड़ी मंदिर काफी प्राचीन है. इस मंदिर के पास स्नान की मान्यता है, जिस वजह से कई जगहों से श्रद्धालु यहां स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. नौकुचियाताल स्थित इस हर की पौड़ी का वर्णन स्कन्द पुराण के मानसखंड में भी है, जिसमें इसे 9 कुण यानी नौ कोनों वाला सरोवर कहा गया है. उन्होंने कहा कि नौकुचियाताल का पौराणिक नाम सनत सरोवर है. हर की पौड़ी मंदिर में ब्रह्मा जी के चार बेटों सनक, सनातन, सनंदन और सनत कुमार ने कई वर्षों तक तपस्या की थी और कई वर्षों के कठोर तप के बाद अपने तपोबल से इस सरोवर का निर्माण किया था, इसलिए इसकी तुलना हर की पौड़ी से की जाती है क्योंकि इस जगह का संपर्क सीधे हरिद्वार से बताया गया है. हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी के समान ही यहां के जल की भी मान्यता है, जो खराब नहीं होता है.

हर की पौड़ी पर यज्ञोपवीत संस्कार और श्राद्ध

उन्होंने आगे कहा कि यह स्थान अन्य महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान के भांति ही विशेषता रखता है. यहां की महत्वता इतनी है कि स्थानीय लोग यहां खासकर मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, नवरात्रि, हरेला और जालसायनी एकादशी के दिन जरूर स्नान करने आते हैं. इसके अलावा इस सरोवर में देव डांगर भी नहलाए जाते हैं. वहीं इस पवित्र हर की पौड़ी में यज्ञोपवीत संस्कार व श्राद्ध भी संपन्न किए जाते हैं.