मुंबई। पिछले कुछ सालों से विपक्षी पार्टियों के ऐसे नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी छोड़ी जब उन्हें ईडी या सीबीआई का सामना करना पड़ा. सूत्रों की मानें तो भाजपा के शीर्ष नेता विपक्ष को खत्म करने और विपक्ष में ताकतवर नेताओं को अपने साथ मिलाने के लिए जमकर दवाबतंत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि ये लोकतंत्र के लिए घातक है मगर जिन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अकूत संपत्ति जमा की है ऐसे नेता ही केंद्रीय जांच एजेंसियों के रडार पर आते हैं जिसके बाद डर से वे अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाते हैं. इसके बाद उनके खिलाफ चल रही जाँच रुक जाती है. ऐसे कई उदाहरण सुनने को मिल चुका है. जिसमें महाराष्ट्र के वतर्मान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम चर्चा में है. उनके बारे में ही ऐसा ही कहा जाता है कि भाजपा के दवाब तंत्र के आगे वे नत मस्तक हो गए और जिस शिवसेना में रहते हुए उन्होंने शोहरत और दौलत कमाई और ठाकरे परिवार ने सबसे ज्यादा भरोसा किया वही एकनाथ शिंदे ने पार्टी से बगावत कर भाजपा से हाथ मिला लिया और पुरस्कार के रूप में कम सीटें रहने के बावजूद भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री पद सौंपा. अब एक नाम फिर चर्चा में है और वह नाम है एनसीपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष जयंत पाटिल का. जी हाँ, शरद पवार ने जब एनसीपी प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया था तो देश भर में एक चेहरा सबसे ज्यादा रोता हुआ नजर आया था. वह चेहरा एनसीपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील का था. वे रोते हुए कह रहे थे कि जिनका हाथ पकड़ कर चलना सीखा, वही रुक गए तो हम अब किसके सहारे चलें. अब वही जयंत पाटील, अपने उन्हीं गुरु शरद पवार का साथ छोड़ कर जाने को तैयार नजर आ रहे हैं. यह दावा महाराष्ट्र भाजपा की ओर से किया गया है. बीजेपी ने बकायदा मराठी वॉयस ओवर में एक वीडियो ट्वीट कर वे 10 कारण बताए हैं जो जयंत पाटील के एनसीपी छोड़ने का आधार बनने जा रहे हैं. इस वीडियों में यह दर्शाया गया है कि कैसे शरद पवार ने अपनी बेटी और भतीजे का खयाल रखा लेकिन हमेशा इन्हें धोखा देते रहे. आपको बता दें कि शुक्रवार और शनिवार यानी पिछले दो दिनों से ईडी ने सांगली के राजारामबापू सहकारी बैंक लिमिटेड समेत पश्चिम महाराष्ट्र के 14 ठिकानों पर छापेमारी की है. आरोप है कि फर्जी कंपनियों के जरिए, फर्जी केवाईसी देकर बैंक में ढेर सारे अकाउंट खोलवाए गए. उन फर्जी अकाउंट्स में करोड़ों के ट्रांजेक्शन किए गए और बैंक की मदद से उन अकाउंट से कैश में पैसे निकाले जाते रहे. ईडी को शक है कि इस बारे में बैंक प्रशासन को पूरी जानकारी थी. मालूम हो कि इस बैंक के अध्यक्ष जयंत पाटील के बेटे हैं. खैर जयंत पाटील के एनसीपी छोड़ने की संभावना के पीछे बीजेपी ने जो दस कारण बताये हैं वो इस प्रकार है- 
1) 2019 से ही शरद पवार ने जयंत पाटील को धोखा देना शुरू कर दिया और उन्हें गृहमंत्री बनाने के बदले जल संसाधन मंत्री बनाया.
2) एनसीपी में दो गुट हैं. एक गुट शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का है. दूसरा गुट शरद पवार के भतीजे अजित पवार का है. जयंत पाटील दोनों गुट के नहीं हैं. इस वजह से वे हमेशा हाशिए पर धकेले जाते रहे हैं.
3) जयंत पाटील एक महात्वकांक्षी नेता हैं. शरद पवार ने बेटी सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय स्तर पर कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. राज्य स्तर पर सारे फैसले अजित पवार ही लिया करते हैं. इस वजह से वे नाम के प्रदेश अध्यक्ष हैं.
4) सुप्रिया सुले के कार्यकारी अध्यक्ष बन जाने के बाद अब अजित पवार की नजर जयंत पाटील के प्रदेश अध्यक्ष पद पर है. अगर अजित पवार ने वो पद हथिया लिया तो जयंत पाटील कहां जाएंगे?
5) जब महाविकास आघाड़ी सरकार गिर गई, तब जयंत पाटील को नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता था. लेकिन शरद पवार ने उन्हें तब भी डिच दे दिया.
6) शरद पवार ने दोनों गुटों को संतुष्ट किया है. सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. साथ ही प्रफुल्ल पटेल को भी कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. प्रफुल्ल पटेल अजित पवार के करीबी हैं. इस तरह से शरद पवार ने एक बार फिर जयंत पाटील के बारे में कुछ नहीं सोचा.
7) शरद पवार अगर पूरी तरह से रिटायर हो जाते हैं तो उनके न रहते हुए अपने से जूनियर सुप्रिया और अजित के अंडर में काम करना उन्हें गवारा नहीं होगा.
8) अब रही बात जयंत पाटील के बेटे की तो अपने बेटे प्रतीक को जयंत पाटील राजनीति में आगे लाना चाहते हैं. उन्हें पूरी कोशिश करके उन्होंने राजारामबापू चीनी मिल का अध्यक्ष बनवाया. लेकिन शरद पवार की ओर से उन्हें इस बारे में कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही.
9) सवाल यह है कि शरद पवार जब अपने भतीजे के बेटे यानी अजित पवार के बेटे पार्थ पवार के नहीं हुए और उसे पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं दी तो वे जयंत पाटील के बेटे के लिए क्यों कुछ करने लगे.
10) इसलिए जयंत पाटील को एनसीपी में रहकरआगे न अपने बेटे का भविष्य दिखाई दे रहा है और न ही खुद का. इसलिए जयंत पाटील ने भले ही शरद पवार के इस्तीफे के वक्त रोने का ड्रामा किया हो, पर सच्चाई यह है कि वे एनसीपी में रह कर ऊब चुके हैं और जल्दी ही अपनी पार्टी को टाटा-बाय-बाय कर सकते हैं.