मुंबई/नागपुर। वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर परियोजना पुणे के पास प्रस्तावित थी लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ के लिए इसे गुजरात में शिफ्ट कर दिया गया था लेकिन अब यह परियोजना गुजरात में भी साकार नहीं होगी। फॉक्सकॉन द्वारा अब वेदांता के साथ साझेदारी से पीछे हटने से यह परियोजना खटाई में पड़ गई है। यह प्रोजेक्ट पुणे में स्थापित  होने वाला था. इसके लिए सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी थी। माविआ सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए सभी रियायतें और सुविधाएं देने को भी तैयार थी लेकिन महाराष्ट्र का प्रोजेक्ट गुजरात में चला गया। अब वहां भी यह प्रोजेक्ट रुक गया। इसकी वजह से महाराष्ट्र के साथ-साथ देश को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जहां पीएम नरेंद्र मोदी देश के लिए हानिकारक हैं वहीं फडणवीस राज्य के लिए हानिकारक हैं। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने यह कड़ी आलोचना की है।
मंगलवार को नागपुर प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अतुल लोंढे ने आगे कहा कि जब गुजरात विधानसभा चुनाव सिर पर थे तब वेदांता- फॉक्सकॉन जैसे अहम प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र से बाहर भेज दिया गया। यह परियोजना लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश वाली थी और इससे 1 लाख लोगों को नौकरी मिल सकती थी । पुणे के आसपास का वातावरण वेदांत फॉक्सकॉन परियोजना के लिए बहुत अनुकूल था। पुणे एक औद्योगिक क्लस्टर है और हवाई अड्डों, बंदरगाहों और सड़क परिवहन के मामले में सभी जगह से बहुत अच्छे तरीके से कनेक्ट है। इस परियोजना के लिए कुशल जनशक्ति की आवश्यकता थी, जो यहां आसानी से उपलब्ध थी। वेदांता फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट के लिए दी जाने वाली सुविधाओं और रियायतों को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक भी हुई लेकिन प्रोजेक्ट को गुजरात स्थानांतरित कर दिया गया। गुजरात में जिस क्षेत्र में इसे जगह दी गई वहां इस परियोजना का टिक पाना नामुमकिन था, अंत में वही हुआ। इस प्रोजेक्ट के फेल होने से देश को करीब 10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। महाराष्ट्र से ये प्रोजेक्ट देवेन्द्र फडणवीस की वजह से अपनी हाथों से चला गया। राज्य में लाखों युवाओं को मिलने वाली नौकरियाँ भी चली गईं। इस प्रोजेक्ट को गुजरात ले जाया गया लेकिन गुजरात सरकार और केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक सुविधाएं नहीं दीं। अतुल लोंढे ने कहा कि फॉक्सकॉन द्वारा वेदांता के साथ अपना सौदा रद्द करने के साथ, माइक्रोन सेमीकंडक्टर परियोजना का भविष्य भी संदेह में पड़ गया है। वाइब्रेंट गुजरात और मेक इन इंडिया के नाम पर बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गईं, लेकिन इनमें से कितनी परियोजनाएं वास्तव में सामने आईं, इस पर एक श्वेत पत्र तैयार करने की जरूरत है। फॉक्सकॉन के हटने से अन्य कंपनियों का विदेशी निवेश भी प्रभावित होगा, जिससे भारत को नुकसान होगा। अतुल लोंढे ने कहा कि बीजेपी और फडणवीस इस बात के लिए जिम्मेदार हैं कि वेदांता फॉक्सकॉन, टाटा एयर बस, बल्क केमिकल्स समेत कई उद्योग और कंपनियां महाराष्ट्र से बाहर चले गए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध तो रोक सकते हैं लेकिन देश से जाने वाले उद्योगों को नहीं रोक सकते। लोंढे ने यह भी कहा कि सरकार किसी की भी हो, लेकिन किसी भी प्रोजेक्ट और उद्योग का बाहर जाना विकास के लिए अच्छा नहीं है.