पटना । बिहार के फायर ब्रांड भाजपा सांसद 2024 की मोदी कैबिनेट में मंत्री पद पाने में चूक सकते हैं। हालांकि उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई है। नए समीकरण में एनडीए सरकार में जिन दो मंत्रियों की छुट्टी होने की चर्चा जोरों पर है, उसमें गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय के नाम सबसे ऊपर हैं। दरअसल, इस बार चिराग पासवान की पार्टी के पांच सांसद चुने गए हैं। टिकट बंटवारे में चिराग के नेतृत्व वाली एलजेपीआर को एनडीए ने पांच सीटें दी थीं और उन्होंने सभी सीटें जीत लीं। एक सीट पर लड़ कर हम के नेता जीतन राम मांझी चुनाव जीत गए हैं। पिछले मंत्रिमंडल में जेडीयू के आरसीपी सिंह का कुछ दिनों तक प्रतिनिधित्व रहा, लेकिन उनकी राज्यसभा सदस्यता रिपीट न होने से उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा। 
एनडीए की तीसरी बार बन रही सरकार 9 जून को शपथ लेगी। इससे पहले मंत्रियों के बारे में सटीक अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल है। पर, गठबंधन की मौजूदा स्थिति को देखकर माना जा रहा है कि बिहार के दो मंत्रियों की इस बार छुट्टी हो सकती है। इसके अलग-अलग कारण हैं। नित्यानमद राय खुद जीत तो गए, लेकिन भाजपा को जीत दिलाने में उनकी कोई भूमिका नहीं रही। यादव समाज से आने वाले नित्यानंद भाजपा को अपनी बिरादरी के वोट दिलाने में नाकाम रहे। मंत्री पद से उनकी छुट्टी के अनुमानों का यही बड़ा आधार दिखता है।
वहीं गिरिराज सिंह हिन्दुत्व पर अधिक मुखर रहते हैं। उनकी जुबान पर हिन्दू-मुसलमान और पाकिस्तान तोता रटंत शब्द की तरह रहते हैं। उन्हें इस बार मंत्री पद नहीं मिलने का अनुमान इसकारण लग रहा है कि उनके कट्टर हिन्दुत्ववादी बयानों का कोई असर भाजपा की उपलब्धियों पर नहीं दिखता है। इस बार सहयोगी दलों को उनके उग्र विचारों-बयानों से असुविधा होने का खतरा है। इस बार वे जीत गए हैं, लेकिन उनके स्वजातीय वोटर ही काफी नाराज दिखे। उनके खिलाफ भूमिहार समाज के लोगों की गोलबंदी भी हुई। हालांकि आधे-अधूरे मन से लोगों ने उन्हें वोट कर जीत दिला दी।
बिहार से मोदी के पिछले मंत्रिमंडल में पांच लोगों को मौका मिला था। इसमें आरा के सांसद आरके सिंह थे, जो इस बार सीपीआई (एमएल) से चुनाव हार गए हैं। वन पर्यावरण मंत्री रहे अश्विनी चौबे को भाजपा ने टिकट ही नहीं दिया था। बेहतर परपार्मेंस के कारण चिराग और जीतन राम मांझी का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। अगर बिहार के कोटे में पिछली बार की पांच मंत्री बनाए जाते हैं, तब  इसमें भाजपा की कोई गुंजाइश नहीं दिखती। यह तभी संभव है, जब इस बार बिहार से मंत्रियों का कोटा बढ़े।