भोपाल । मप्र में चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक पार्टियों का प्रचार जोर पकडऩे लगा है। खासकर भाजपा और कांग्रेस में सत्ता की जंग हो रही है। इसके लिए रोज नई घोषणाएं और दावे किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने सरकार बनाने के इरादे से एक और बड़ा दांव चला है। प्रियंका गांधी ने गुरुवार को मंडला की सभा में पढ़ो और पढ़ाओ योजना लागू करने का ऐलान किया। इस योजना के लिए करीब 7500 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की जरूरत होगी। दरअसल, कांग्रेस ने स्कूली विद्यार्थियों के जरिए उनके वोटर माता-पिता व अन्य वयस्क परिजनों को साधने का प्रयास किया है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रियंका की घोषणा का प्रदेशभर में बड़ा प्रभाव पड़ा है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि शिवराज की 57,000 करोड़ की घोषणाओं पर प्रियंका की 7500 करोड़ की घोषणा भारी पड़ सकती है।
गौरतलब है कि मंडला में प्रियंका गांधी ने ऐलान किया कि कांग्रेस की सरकार बनने पर पहली से 12वीं तक सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को 500 रुपये से 1500 रुपये तक स्कॉलरशिप दी जाएगी। इस घोषणा के बाद अमर उजाला ने प्रदेश के सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों की मौजूदा संख्या के आधार पर स्कॉलरशिप पर खर्च होने वाली राशि की गणना। इसके अनुसार सरकार को हर साल करीब 7,428 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। स्कूल शिक्षा विभाग का पिछला बजट 36 हजार करोड़ रुपये का है। इसमें 80 प्रतिशत राशि वेतन और अन्य मदों में खर्च हो जाती है। मप्र सहित देशभर में यह परंपरा दिन पर दिन बढ़ती जा रही है कि चार साल सरकार में रहने के बाद भी चुनावी साल में राजनीतिक पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे कर देती हैं। इसे ही राजनीतिक भाषा में फ्रीबीज या रेवड़ी कल्चर कहा जाता है। आज यह रेवड़ी कल्चर चुनावी परंपरा बन गई है। यही वजह है कि मप्र में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मुफ्त की घोषणाओं की भरमार कर दी है। खासकर भाजपा सरकार की घोषणाएं चर्चा में है। चुनावी साल में हुईं घोषणाएं सरकार के खजाने पर भारी पड़ रही हैं। गौरतलब है कि मप्र सरकार पहले से ही कर्ज में डूबी हुई है। बजट के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ रुपए है और खर्च इससे 54 हजार करोड़ ज्यादा। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 57 हजार करोड़ की नई घोषणाएं कर चुके हैं। अकेले लाड़ली बहना योजना पर ही सालाना 19 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।
जानकारों का कहना है कि प्रियंका गांधी की एक घोषणा ने 90 लाख घरों पर असर पड़ेगा। स्कूल शिक्षा विभाग के पिछले साल के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पहलीं से 12वीं तक की कक्षा में 89 लाख 85 हजार 543 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। इसमें पहली से आठवीं तक की कक्षा में 65 लाख 63 हजार 745 बच्चे रजिस्टर्ड है। इन बच्चों को कांग्रेस की 500 रुपये देने की घोषणा के अनुसार एक माह 328.18 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। वहीं, नौंवी से 10वीं तक की कक्षा में 14 लाख 48 हजार 881 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। इनको 1 हजार रुपये देने पर 144.89 करोड़ रुपये प्रतिमाह का खर्च आएगा। वहीं, 11वीं से 12वीं कक्षा के 9 लाख 72 हजार 917 बच्चों को 1500 रुपये देने पर 145.94 करोड़ रुपये प्रतिमाह का खर्चा आएगा। यानी कुल 7 हजार 428 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च आएगा।
प्रदेश की शिवराज सरकार लाडली बहना योजना शुरू की है। इसमें महिलाओं को 1250 रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस ने भी सरकार बनने पर नारी सम्मान योजना शुरू करने की घोषणा की है। यदि 1.25 करोड़ लाडली बहना योजना में 1250 रुपये प्रति माह सरकार देती है तो 18 हजार 750 रुपये सालाना खर्च बनता है। वहीं, यदि इतनी ही महिलाओं को नारी सम्मान के तहत 1500 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है तो करीब 22 हजार 800 करोड़ रुपये साल का खर्चा आएगा।
स्कूल शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूलों में वर्तमान में पहली से पांचवी तक के बच्चों को 600 रुपये ड्रेस के और किताबें नि:शुल्क देता है। इन बच्चों को स्कॉलरशिप नहीं दी जाती है। वहीं, छठी के बच्चों को 300 रुपये और सातवीं एवं आठवीं के बच्चों को 400 रुपये स्कॉलरशिप प्रति वर्ष दी जाती है। साथ ही 600 रुपए ड्रेस के लिए अलग से दिए जाते है। नौंवी से 10वीं तक के बच्चों को एससी, एसटी और ओबीसी के वर्ग अनुसार तय छात्रवृत्ति अनुसार साल में दो हजार रुपये छात्रवृत्ति दी जाती है। इसके अलावा किताबें भी मुफ्त दी जाती है। वहीं, 11वीं और 12वीं के बच्चों को एससी, एसटी ओर ओबीसी वर्ग अनुसार करीब 3000 रुपये तक सालाना छात्रवृत्ति दी जाती है। साथ ही किताबें मुफ्त दी जाती हैं।  प्रदेश सरकार लाडली बहनों और उज्जवला योजना के हितग्राहियों को 450 रुपये में गैस सिलिंडर दे रही है। वहीं, कांग्रेस ने भी सरकार बनने पर हर परिवार को 500 रुपये में गैस सिलिंडर देने का वादा किया है।