मानसिक बीमारी मष्तिष्क से जुड़ी एक बीमारी है। मष्तिष्क से ही हमारे सोचने-समझने व निर्णय लेने की क्षमता का नियंत्रण होता है। यहां कोई गड़बड़ी हुई तो इससे स्वयं पर नियंत्रण रखने की क्षमता का निरंतर ह्रास होने लगता है। हम क्या कर रहे हैं, किस बात पर हमारी क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए, यह समझने की क्षमता हमारी चली जाती है। समस्या यह है कि हमारे देश में इस स्थिति को लोग पागलपन या भूत प्रेत से जुड़ी समस्या का नाम देकर पल्ला झाड़ने में जुट जाते हैं। लेकिन पश्चिमी देशों में ऐसा नहीं है। वहां मानसिक बीमारियों को के प्रति एक आधुनिक वैज्ञानिक समझ विकसित हुई है। वहां इन बीमारियों पर गहन वैज्ञानिक शोध हुआ जिसके आधार पर मानसिक बीमारियों के उपचार के लिए एक वैज्ञानिक पद्धति का विकास हुआ है। योग्य डॉक्टर ही मानसिक बीमारियों से जूझ रहे मरीजों का कुशलता पूर्वक उपचार करते हैं। कई मामलों में इन बीमारियों को समझने के लिए डॉक्टर रोगियों के साथ काफी ज्यादा समय बिताते हैं। हमें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए। इन समस्याओं पर खुलकर बात करनी चाहिए। मानसिक समस्याओं को दबाने की प्रवृत्ति का त्याग करना चाहिए। मानसिक बीमारियों को एक आम बीमारी की तरह लेना चाहिए। मानसिक बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के प्रति घृणा, दया या उदासीनता का भाव नहीं रखना चाहिए। उन्हें योग्य डॉक्टर से दिखाना चाहिए।  कुछ मामलों में मानसिक बीमारियों से जूझ रहा मरीज एकाएक बेहोशी की हालत में चला जाता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए न सिर्फ ऐसे मरीजों के परिजन बल्कि आसपास के लोगों की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। कई बार तो ऐसे मरीज होश में रहते हुए भी खुद पर नियंत्रण खो देते हैं। ऐसे में इनका निरंतर ख्याल रखना जरूरी हो जाता है ताकि अनियंत्रित होने पर इनपर काबू पाया जा सके।

न्यूरोट्रांसमीटर के बीच संतुलन आवश्यक

मस्तिष्क की कार्यप्रणाली संचालित करने वाले न्यूरोट्रांसमीटर के बीच संतुलन होना आवश्यक है। दिमाग में सामान्य तौर पर स्रावित होने वाले हार्मोंस सेरोटोनिन, डोपामाइन और एंडार्फिन जब असंतळ्लित हो जाते हैं तो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बिगड़ जाती है। इससे व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आता है। यह मानसिक रोग का शुरुआती लक्षण होता है।

याददाश्त पर पड़ता है असर

चिंता, तनाव और अवसाद सहित किसी भी प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्या मानसिक रोगों की श्रेणी में आती है। यानी मानसिक रोग की स्थिति में व्यक्ति की मनोदशा, यादाशत, स्वभाव पर असर पड़ता है और व्यक्ति का अपने भावों पर कोई काबू नहीं रहता है।