नई दिल्ली । देश में चार राज्यों में होने वाले विधानसभा और अगले साल लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने 4 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष बदल दिए हैं। पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और झारखंड में बदलाव हुआ है। कांग्रेस से आए सुनील जाखड़ को पंजाब, आंध्र में डी पुरंदेश्वरी, तेलंगाना जी किशन रेड्डी और झारखंड में बाबू लाल मरांडी को अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं मप्र में के संदर्भ में फिलहाल कोई फैसला नहीं हो पाया है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि मप्र में अध्यक्ष के लिए चार नामों-केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल के साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और सांसद सुमेर सिंह सोलंकी के नाम पर चर्चा की गई है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों पीएम आवास पर भाजपा की एक बड़ी बैठक करीब चार घंटे चली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और संगठन महामंत्री बीएल संतोष मौजूद रहे। इसमें आगामी विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव के अलावा संगठन और सरकार में फेरबदल को लेकर मंथन किया गया। इसके बाद से ही मप्र में भी पार्टी नेतृत्व में परिवर्तन की चर्चा चल पड़ी लेकिन फिलहाल मप्र भाजपा के अध्यक्ष के नाम की घोषणा को होल्ड पर रखा गया है।

मप्र में 4 दावेदार
मप्र में फिलहाल अध्यक्ष के लिए दावेदारों में 4 नाम निकल कर सामने आ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल के साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और सांसद सुमेर सिंह सोलंकी के नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए उपयुक्त बताए जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पहले नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व दिया जा सकता है। नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर चंबल अंचल से आते हैं और उनकी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से बेहतर ट्यूनिंग भी बताई जाती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए दूसरा जो बड़ा नाम हो सकता है, वह राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का है। कभी पार्टी का मप्र का बड़ा चेहरा होने माने जाने वाले कैलाश विजयवर्गीय संगठन की राष्ट्रीय राजनीति में जाने के बाद सूबे की राजनीति से हाशिए पर चले गए थे। उनके सांगठनिक कौशल को देखते हुए पार्टी अगले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। महाकौशल की राजनीति के दिग्गज प्रहलाद पटेल भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व की पसंद हो सकते हैं। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल महाकौशल अंचल की कई लोकसभा सीटों से चुनाव जीतकर अपना लोहा मनवा चुके हैं। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यदि ओबीसी वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष चुना जाएगा तो प्रहलाद पटेल पार्टी की पहली पसंद हो सकते हैं। मप्र में ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की संख्या भी 50 प्रतिशत से ज्यादा है। राज्य के 22 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी वोटरों को साधने के लिए यदि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी ट्राइबल लीडरशिप को देने का फैसला करती है तो पहला नाम सांसद सुमेर सिंह सोलंकी का हो सकता है। सुमेर सिंह सोलंकी भी मालवा इलाके से आते हैं जहां आदिवासी वोटरों की संख्या और सीटें काफी है। इसके पहले भी जब प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की बात उठी थी तो सुमेर सिंह सोलंकी का नाम सबसे आगे था।

सिंधिया-विजयवर्गीय को बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले चार राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर केन्द्रीय नेतृत्व जहां गंभीर है, वहीं मप्र  के लिए भी एक बड़ी रणनीति तैयार कर ली गई है, जिसके तहत सत्ता पक्ष की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कमान संभालेंगे, वहीं चुनावी कमान के लिए नए नामों की कवायद शुरू हो गई है, जिनमें  सिंधिया के साथ ही विजयवर्गीय के नाम की भी अटकलें तेज हो गई है।

 केन्द्रीय नेतृत्व ने संभाली बागडोर
भाजपा मप्र के चुनाव को लेकर बेहद गंभीर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दूसरी बार भोपाल से ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने साथ दिल्ली ले जाने के साथ ही चर्चाओं के नए दौर शुरू हो गए। संघ ने भी अपनी रिपोर्ट में नेतृत्व को सचेत करते हुए कहा था कि वर्तमान चेहरों के साथ विधानसभा चुनाव में फतह हासिल नहीं की जा सकती। इसके बाद जो तमाम सर्वे और मीडिया रिपोर्ट में कांग्रेस का चुनावी पलड़ा भारी बताया जा रहा है इसके बाद से 30 से 40  सीटों पर भाजपा तोडफ़ोड़ कर परिणाम अपने पक्ष में करने की कोशिश में लग गई है। लिहाजा संभव है कि सिंधिया के साथ-साथ महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिले, क्योंकि उनकी भी सक्रियता पिछले कई दिनों से जहां बढ़ी, वहीं भाजपा के दिग्गज  नेताओं ने भी उन्हें मप्र के मामलों को देखने को कहा है।  

पीएम मोदी-शाह और नड्डा ने की थी अहम बैठक
इससे पहले 28 जून को देर रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ बैठक की थी। इसके बाद से ही माना जा रहा था कि इस बैठक में सरकार और संगठन में बड़े फेरबदल पर बात हुई है। बैठक में चुनावी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को लेकर भी चर्चा हुई थी। अटकलें थीं कि इन राज्यों से कुछ लोगों को सरकार में लाया जा सकता है तो कुछ मंत्रियों को बेहतर कामकाज के लिए संगठन में भेजा जा सकता है और हुआ भी कुछ ऐसा ही।