बिलासपुर । बिलासपुर प्रदेश के साथ पूरे देश मे भी पुलिस की भूमिका कुछेक पुलिस विभाग के ऐसे कानून व्यवस्था को दरकिनार करने की वजह से धूमिल होती जा रही है।
क्योकि पुलिस का जनता की सुरक्षा के साथ ही उनकी भावनात्मक और सामाजिक कार्य शैली में बिना हस्तक्षेप किये एक समुचित दायरे में रहने की हिदायत के साथ समझाइश देने की जिम्मेदारी निभाने कटिबध्द है। ऐसा नियामवली में शामिल है जो कि हर पुलिस कर्मी और अधिकारी को नियुक्ति के दरम्यान ही संकल्प लेने की भी प्रतिबध्दता है। परंतु यदि कोई पुलिस विभाग में कार्यरत वो चाहे किसी भी पद पर आसीन हो उसे ये अधिकार नही की वो अपने पद का रौब दिखाते हुए उसे अपने व्यक्तिगत स्वाभिमान का कारण बनाते हुए उसका दुरुपयोग कर आम जनता से दबंगई करे..! विगत दिनों होली जैसे पवन पर्व की नगर में हर तरफ धूम थी और जाहिर है कि इस होली के त्यौहार में गली मोहल्लों में कई लोग अपने-अपने तरीके से इस त्यौहार को मनाते आ रहे है और इसमें कुछ हुड़दंग की छुटपुट घटनाएँ भी होती है, पर जिन्हें पुलिस विभाग पैट्रोलिंग कर सभी को सौहाद्र और दायरे में रहते हुए इस त्यौहार को मनाने की अपील करती है। लेकिन यदि कोई बिना पेट्रोलिंग के लग्जरियस कार मे कुछ दबंग से लोगो के साथ गली मोहल्ले में कुछ लडक़ों को महज इस लिए करते है कि उन्होंने हमारे लिए रास्ता छोडऩे में देरी क्यो की तब ये विषय सोच की परिधिति में आ जाता है। मामला सकरी थाना से जुड़ा है।
पीडि़त की लिखित शिकायत के अनुसार
हुआ यूं कि घटना होली के दिन 25 मार्च की है गीता पैलेस के पास कुछ मोहल्ले के लडक़े होली खेल रहे थे इस दौरान एक बडी सी गाड़ी हौंडा सिटी में सवार कुछ लोगो का इस मोहल्ले से गुजरना हुआ अब वहां कुछ लडक़े होली का त्यौहार मना रहे थे फिर उस बडी गाड़ी में सवार लोगो ने गाड़ी किनारे लगाने की बात कही तभी वहां दोस्तो के साथ खड़े विवेक चतुर्वेदी ने तुरंत ही अपने हाथ धोकर गाड़ी हटाने जैसे ही आगे बड़े पीछे से किसी एक दोस्त ने पिचकारी से पानी की बौछार उस के ऊपर की तो भी वो गाड़ी हटाने आगे बढ़ा तभी उस बडी गाड़ी से से एक दबंग से व्यक्ति ने पानी की बौछार मारने वाले लडक़े पर गाड़ी से इस्टिक निकाल कर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए जिसमें एक महिला भी थी उन्होंने उन लडक़ों को गाड़ी साइड करने के लिए कहा अब क्योंकि होली खेलते लडक़े थे उन्होंने कहा थोड़ा रुकिए और हम गाड़ी साइट कर देते हैं कुछ विलंब होने की वजह से उसे होंडा सिटी कार में बैठी महिला को इतना तैश आया कि उन्होंने कार में बैठे कुछ बॉडीगार्ड टाइप के लोगों को आदेश देते हुए कहा कि उस लडक़े को घसीट कर कार में बिठाओ उसको आज राइट कर दूंगी। जिस पर होंडा सिटी से एक दबंग व्यक्ति ब्लैक शर्ट पहने हुए हाथ में स्टिक लेकर निकला और उन लडक़ों पर ताबड़तोड़ स्टिक बरसाने लगा इस बीच मोहल्ले के लडक़ों ने उसका विरोध किया जिस पर उसे महिला ने मोहल्ले के विवेक चतुर्वेदी को कार में खींचने का आदेश दे दिया जिस पर उनके आदेश पर तत्काल कार्रवाई करते हुए उन तथाकथित व्यक्तियों ने विवेक चतुर्वेदी को घसीटते हुए अंदर बैठने की का प्रयास किया लेकिन कार की गति अत्यधिक होने के कारण वह कार के गेट खुले होने के कारण छिटक कर बाहर गिर गया। इसके बाद वह कार आगे निकल गई फिर दोबारा वही कार पुन: लौट कर आयी और उसके साथ एक अन्य गाड़ी लौटकर आई और विवेक चतुर्वेदी को दौड़ा कर अपहरण करने का प्रयास करते हुए उसे दौड़ाने लगी लेकिन विवेक चतुर्वेदी ने अपने बचाव के लिए वहां से चले जाना बेहतर समझा लेकिन तत्काल ही एक पेट्रोलिंग गाड़ी आई और उसमें बैठे एक पुलिस कर्मी ने लाठी निकालकर उसे पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया।
यह साधारण सी घटना लगती है पर है नही!
और तो और मैडम के दबाव मे पीडि़त पक्ष के खिलाफ उसी रात रिपोर्ट लिख दी गई वही पीडि़त पक्ष के वीडियो रिकार्ड देने के बाद भी उससे 3 दिन बादआवेदन बमुश्किल लिया तो गया परंतु थाने मे कहा जारा है कि अभी जांच होगी उपर से दबाव है फिर देखेंगेज्.होली में कुछ लोग हुड़दंग के साथ विवाद भी करते हैं और आम जनता को उसे तकलीफ होती है उसे पर कार्रवाई होना आवश्यक है लेकिन होंडा सिटी कार में एक महिला के साथ तीन दबंग लोगों का होना और उनके आदेश पर इस तरह की मारपीट करना यह समझ परे हैं! इन्हीं सब घटनाओं को लेकर विवेक चतुर्वेदी ने आज थाना सकरी में एक लिखित आवेदन देते हुए शिकायत दर्ज कराई की उक्त कार में कोई किरण राजपूत सिंह मैडम थी और इस गाड़ी में उनके भाई दुर्गेश सिंह जो पेशे से डॉक्टर है के अलावा यदुनदन सिंह व नीरज सिंह भी थे। हैं उन्होंने मेरे साथ मारपीट की और बेवजह मुझे घसीट कर अपहरण करने का प्रयास भी किया अब देखने वाली बात यह है कि अगर वह पुलिस थी तो प्राइवेट गाड़ी में चार लोगों के साथ कैसे पेट्रोलिग कर रही थी और जिन लडक़ों को पकडऩे का प्रयास वे कर रही थी वो क्या किसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल थे, यह बड़ा ही सोचनीय विषय है।
देखे सीसीटीवी फुटेज
लेकिन पुलिस तो पुलिस है सादी वर्दी में भी अपना रूप कहीं नहीं छोड़ती क्योंकि उन्हें एक वर्दी मे दबंगई दिखाने की आदत सी पड़ जाती है फिर वो कोई अपराधी हो या फिर आम जनता इस बात से उन्हें कोई सरोकार नही होता। आप पुलिस हो ये आपकी ड्यूटी है, परंतु यदि छोटी-छोटी बातों पर पुलिस इस तरह अपना आपा खोकर मोहल्ले में खेल रहे लडक़ों पर ताबड़तोड़ डंडों और स्टिक से पिटाई करती है तो यह न्यायसंगत बात नहीं है। अब यहां पीडि़त विवेक चतुर्वेदी के कथनानुसार यह भी प्रदर्शित होता है कि जिस होंडा सिटी कार में मैडम किरण सिंह राजपूत के साथ दुर्गेश सिंह राजपूत- जो उनके भाई जो पेशे से डॉक्टर है, अलावा यदुनदन सिंह- नीरज सिंह भी उनके साथ थे और जब उन्हें कार से खींच कर ले जाने का प्रयास किया जा रहा था, तब उन्होंने देखा कि उक्त कार में तलवार और कई प्रकार के हथियार भी थे तथा उक्त महिला मैडम किरण सिंह ने यह कहते हुए आदेश दिया कि इसको खींच लो अभी राइट कर देती हूं यह जानता नहीं मैं कौन हूं, ऐसा कथन पीडि़त ने लिखित में थाने में शिकायत के तौर पर दिया है। अब यहां स्थिति पुलिस और पब्लिक के बीच की है की पुलिस जनता की रक्षा के लिए होती है ना कि उन्हें इस तरह की दबंगई करने का कोई अधिकार है यदि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करता है तो सर्वप्रथम उसे समझाइए दी जाती है अगर वो फिर भी नही मानता तो उसे पुलिस अपने तरीके से उस उल्लंघनकर्ता पर कानूनी कार्यवाही कर सकती है,परंतु सिर्फ साइड देने में विलम्ब होने पर यदि कोई अधिकारी अपनी वर्चस्व में खलल समझते हुए अपने अधिकारों का दुरुपयोग करता है तो असल मे कानून के दायरे से बाहर आने हेतु उस पर कार्यवाही होनी चाहिए।
देखे सीसीटीवी फुटेज
एक छोटी घटना जिस पर इतना बड़ा बखेड़ा करना समझ से परे हैं अब पुलिस विभाग इस घटना पर संज्ञान लेते हुए पीडि़त को न्याय दिलाता है या फिर उस मैडम दबंगई को सपोर्ट करता है, ये देखना अभी बाकी है। पीडि़त ने मोहल्ले में लगे सीसीटीवी फुटेज की भी कॉपी पुलिस को उपलब्ध कराते हुए अपने पक्ष को रखने की गुहार भी लगाई है क्योंकि होलियाना अंदाज होता है और होली एक बड़ा त्यौहार होता है जिसमे रंगों में रंगे होने से शायद उन लोगों को थोड़ा सा समझने में देरी लगी और ऐसी घटना घटित हुई लेकिन यदि पुलिस राउंड में है वह भी सिविल में और होंडा सिटी गाड़ी में तीन लडक़े दबंगई से हाथ मे स्टिक और गाड़ी में तलवार जैसे घातक हथियार लेकर मोहल्लों में निकलेंगे तो सहज रूप सर कोई भी सामान्य व्यक्ति यह नहीं समझ पाएगा कि वह पुलिस है या फिर कोई और? अब यहां पुलिस में कार्यरत व्यक्ति विशेष को यह समझाने का प्रयास करना चाहिए था। अपने प्रभाव को कायम रखने के लिए इस तरह की दबंगई दिखाने की बजाय अपनी ड्यूटी निभाते हुए अपने कर्तव्यो का निर्वहन करना था ना कि दबंगई! इस तरह की बेवजह की अपने पद की गरिमा को ताक में रख कर बखेड़ा खड़ा करना ये सचमुच ही पूरे पुलिस विभाग के लिए शर्मनाक कृत्य है।