बेंगलुरु: कर्नाटक केपूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी ने कहा शुक्रवार को कहा कि वह देश हित की रक्षा के लिए कांग्रेस के खिलाफ लड़ने के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया है.

इस संबंध में कुमारस्वामी ने विधानसौदा स्थित अपने कार्यालय में पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस मौके पर कुमारस्वामी ने कहा हमने बेंगलुरु-मैसूर एनआईसीई (नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर एंटरप्राइजेज लिमिटेड) रोड कार्य सहित सरकार की कई अवैधताओं के खिलाफ सत्र में बहस का अनुरोध किया था लेकिन कोई चर्चा नहीं हुई. इसलिए, हमने ये फैसला लिया है.

'एनआईसीई कंपनी कह रही है कि वे नियमों के मुताबिक बेंगलुरु-मैसूर हाईवे का निर्माण करेंगी. पिछले एक हफ्ते से सत्र में इस पर चर्चा कराने की कोशिश के बावजूद इस मुद्दे को एजेंडे के आखिर में रखा जा रहा है. कुमारस्वामी ने आरोप लगाया, 'पहले तो हमें बताया गया कि हम आज सदन में नहीं हैं.' कुमारस्वामी ने कहा,'पूर्व मंत्री मधुस्वामी पर पहले एनआईसीई रोड के बारे में पूछताछ के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा पर 2 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया. अतीत में बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार ने सड़क कार्यों में अच्छा काम किया. तब कोर्ट ने कंपनी को फटकार लगाई. अब वे (कंपनी) यहां-वहां सफेद टैपिंग सड़कें बना रही है.'

कुमारस्वामी ने सवाल किया,'भले ही हमारी पार्टी की जमीन एनआईसीई सड़क कार्यों से संबंधित हो, इसे जब्त कर लें. हमारी लड़ाई जारी रहेगी. हमारे पास कई रिकॉर्ड हैं. हम इसे सरकार को देंगे. चलिए जांच करते हैं. मैं इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार को आवश्यक सलाह और निर्देश देने के लिए तैयार हूं.' बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे चार साल में बनकर तैयार हुआ है. लेकिन यह सड़क अभी तक पूरी क्यों नहीं हुई.'


पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा, 'यातायात की भीड़ को कम करने के लिए बेंगलुरु और मैसूर के बीच एक राजमार्ग बनाया गया लेकिन इससे जुड़ी समस्याएं रह गईं. अतिरिक्त जमीन किसानों को वापस की जानी चाहिए. नियम व शर्तों का उल्लंघन किया गया. कंपनी जमीन अधिग्रहण को लेकर कुछ लोगों को नोटिस दे रही है. चिंतित किसान हमसे संपर्क कर रहे हैं. कैबिनेट सब कमेटी, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने जो आदेश दिया है उसका पालन किया जाए. अगर टोल वसूली ज्यादा हुई है तो सरकार को जांच कर पैसा जब्त करना चाहिए. एनआईसीई की अवैधता के मुद्दे पर सरकार के स्पष्ट रुख से अवगत कराया जाना चाहिए. अन्यथा, हमें सरकार पर संदेह करना पड़ेगा.'