पेरिस । आने वाले समय में धरती पर तपन बहुत तेज हो जाएगी। लोगों को जीना दूभर होगा और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाएगा। वर्तमान डेटा से पता चल रहा है कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की वैश्विक प्रतिबद्धता का उल्लंघन हो रहा है और गर्मी में वृद्धि तेज होती जा रही है। बाढ़, आग और तूफान जैसी चरम मौसमी घटनाओं में तेजी होना तेजी से गर्म हो रही धरती के परिणाम बता रहे हैं। हैनसेन ने भविष्यवाणी की है, ‘अगले वसंत के बाद से कोई तर्क ही नहीं बचा होगा, हम ट्रेंड (धरती सका बढ़ता तापमान) से बहुत दूर हो जाएंगे।’
फ्रांस ने हाल ही में धरती पर ग्लोबल वार्मिंग पर अध्ययन किया गया। पॉल सबेटियर विश्वविद्यालय के पर्यावरण वैज्ञानिक ऑड्रे मिनिएर के नेतृत्व में की गई स्टडी के अनुसार, पृथ्वी के गर्म होने की प्रवृत्ति में तेजी आई है। उन्होंने इसके साक्ष्य भी प्रस्तुत किया है। इसका असर खासकर समुद्र के तापमान में बदलाव पर भी पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग में तेज़ी को लेकर वैज्ञानिक समुदाय में भी बहस छिड़ी हुई है। जलवायु वैज्ञानिक जेके हस्फादर ने बताया कि एक अन्य अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि 2010 के बाद से वार्मिंग की दर में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।शोध वैज्ञानिक रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया था और ग्रह पर त्वरित वार्मिंग और इसके दूरगामी प्रभावों को संबोधित करने की तात्कालिकता को रेखांकित किया गया था। पृथ्वी के गर्म होने की प्रवृत्ति से संबंधित परिवर्तनों को जिम्मेदार ठहराने के लिए और अधिक जांच की आवश्यकता है। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘पृथ्वी के गर्म होने का दीर्घकालिक कारण के रूप में सीओ 2  सांद्रता में वृद्धि और उसी अवधि के दौरान एयरोसोल एकाग्रता में गिरावट को दर्शाता है।’ लेकिन इन परिवर्तनों को उचित रूप से बताने के लिए आगे की जांच आवश्यक है।