वॉशिंगटन । सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग्‍स भारत के लिए नया सिरदर्द बनकर सामने आया है। पिछले हफ्ते भारत क्‍वाड के साझीदारों पर पैनी नजरें रखे हुआ था। अब खबरें आ रही हैं कि अमेरिका, जापान, ऑस्‍ट्रेलिया अब फिलीपींस के साथ मिलकर नया क्‍वाड संगठन शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। क्‍वाड 2.0 की रुपरेखा पर बात जारी है और माना जा रहा है कि यह चीन के खिलाफ मजबूती से इस संगठन को तैयार किया जा रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले विशेषज्ञ इस खबर पर लेकर थोड़ा सा बंटे हुए हैं। उनका कहना है कि फिलीपींस के आने से भारत को परेशान होने की जरूरत नहीं है।
क्‍वाड का मकसद हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना और साथ ही दक्षिण चीन सागर पर उसकी आक्रामकता को कम करना है। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन जो सिंगापुर में थे, उन्‍होंने राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के उस प्‍लान के बारे में खासतौर पर चर्चा की है जो एशिया में मिलिट्री के विस्‍तार से जुड़ा है। साथ ही उन्‍होंने चीन को मुख्‍य चुनौती करार दिया। इन सारी बातों को देखकर ऑस्टिन ने जापान रक्षा मंत्री यासुकाजू हमादा, ऑस्ट्रेलिया के उपप्रधान मंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस और फिलीपींस के रक्षा मंत्री कार्लिटो गैल्वेज ने पिछले हफ्ते सिंगापुर में इस समूह की पहली मीटिंग करने के लिए चर्चा की।
ऑस्टिन ने कहा, दक्षिण चीन सागर सहित चार देशों में सहयोग का विस्तार करने के मौकों के बारे में विस्‍तार से चर्चा की गई है। उनका कहना था कि अमेरिका एक आजाद और खुले हिंद-प्रशांत को आगे बढ़ाने के अपने साझा नजरिए को मजबूत करने के लिए एकजुट है। यह मीटिंग शांगरी-ला डायलॉग से इतर हुई थी। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्‍वाड का हिस्‍सा है। वह इस नए संगठन को चिंता के तौर पर नहीं देखता है। भारत का मानना है कि दोनों समूहों की प्राथमिकताएं अलग हैं, भले ही वह इसमें शामिल हों।
सूत्रों का कहना है कि नए संगठन का मकसद गठबंधन का विस्‍तार करना है। दक्षिण चीन सागर से संबंधित मुद्दों पर ध्यान हमेशा केंद्रित रहेगा जहां चीन अपनी सेना का विस्‍तार करने में लगा है। क्‍वाड मानवीय और आपदा राहत चुनौतियों पर भी केंद्रित है।हिंद प्रशांत क्षेत्र के मामलों के जानकारी डेरेक जे ग्रॉसमैन की मानें तो भारत को इस नए संगठन से परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।