श्रीनगर । जम्मू कश्मीर में मानव अधिकार आयोग को बंद कर दिया गया है।जिसके कारण 8 हजार से अधिक मामले, फाइलों में बंद होकर, लाल बस्ते में बांधकर कमरे में रख दिए गए हैं। सरकार ने,फर्जी मुठभेड़ एवं प्रताड़ना के मामलों को फाइलों में बंद करके रख दिया है।
अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने और केंद्र सरकार ने राज्य के हिस्से को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिए जाने के कारण, जम्मू-कश्मीर का मानव अधिकार आयोग का अस्तित्व खत्म हो गया है।
जम्मू और कश्मीर में मानव अधिकार कानून मई 1997 में लागू किया गया था। अगस्त 1997 में इसका गठन हो गया था। आयोग के पास मानव अधिकार से जुड़े मामलों में अनुशंसा करने और सलाह देने का अधिकार था। इसकी एक जांच इकाई भी थी। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म हो जाने और एक बड़ा हिस्सा 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बंट जाने के कारण अब मानव अधिकार आयोग यहां पर अस्तित्व में नहीं है। इसका अस्तित्व में नहीं होना यह भी मानव अधिकारों का हनन है। यहां की जनता अब केवल पुलिस और प्रशासन के भरोसे पर है।