सनातन धर्म में कलावा बांधने की परंपरा से तो आप सभी वाकिफ होंगे. यह लाल और पीले रंग का धागा शुभता और ईश्वर की कृपा का माध्यम माना जाता है. शास्त्रों ने भी कलावे को महत्वपूर्ण स्थान दिया है. रक्षा सूत्र को लेकर आज भी तमाम लोगों को पूरी जानकारी नहीं है. जैसे इसे कब बांधना चाहिए, कब उतारना चाहिए और बांधते समय कितनी बार लपेटना चाहिए. ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज पाठक ने Local 18 को इन्हीं सवालों के जवाब विस्तार से बताए हैं. साथ ही कहा कि जीवन में आने वाली बाधाएं दूर करने वाले इस रक्षा सूत्र के नियमों का पालन अत्यंत जरूरी है, तभी इसका लाभ मिलेगा.

लड़कियां और महिलाएं किस हाथ में बांधें रक्षासूत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुरुष, लड़कियां और विवाहित महिलाओं को रक्षा सूत्र बांधने के अलग-अलग नियम हैं. शादी से पहले लड़कियों को दाएं हाथ में और शादी के बाद महिलाओं को बाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधना शुभ माना जाता है. इसके अलावा पुरुषों को दाहिने हाथ में ही रक्षा सूत्र बांधना शुभ माना गया है.

रक्षा सूत्र बांधवाने का सही तरीका
धर्म शास्त्रों में रक्षा सूत्र बांधवाते समय कुछ नियम बताए गए हैं. जिस हाथ में रक्षा सूत्र बांध रहे हैं, उसमें सबसे पहले सिक्का या रुपए लेकर मुट्ठी बंद कर लें. फिर इसके बाद अपने दूसरे हाथ को अपने सिर पर रख लें. रक्षा सूत्र बांधने वाले व्यक्ति से तीन, पांच या सात बार में रक्षासूत्र को कलाई पर लपेटकर बंधवाएं. फिर रक्षासूत्र बांधने के बाद हाथ में रखी दक्षिणा को उस व्यक्ति को भेंट में दें.

किस दिन उतारें रक्षा सूत्र
पंडित पंकज पाठक के अनुसार, जिस हाथ में रक्षा सूत्र बंधा हुआ है, उस रक्षा सूत्र को केवल मंगलवार या शनिवार के दिन ही खोलना शुभ माना गया है. रक्षा सूत्र को खोलने के बाद घर के पूजा घर में बैठकर दूसरा रक्षा सूत्र बंधवा लीजिए. ऐसा करना आपके लिए शुभ होगा. इसके अलावा रक्षा सूत्र निकालने के बाद उसे इधर-उधर कभी नहीं फेंकना चाहिए. ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता. वह आपके लिए अशुभ साबित हो सकता है. इसलिए पुराने रक्षासूत्र को आप किसी पवित्र नदी या बहते हुए जल में प्रवाहित करें. पीपल के पेड़ के नीचे रख सकते हैं.