चालू वित्त वर्ष यानी FY24 में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के कारण अप्रैल-नवंबर के दौरान देश में बिजली की खपत एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में लगभग नौ प्रतिशत बढ़कर 1,099.90 बिलियन यूनिट (बीयू) हो गई है। एक साल पहले की समान अवधि में देश में बिजली की खपत 1,010.20 बीयू थी।

साल दर साल बढ़ रही है बिजली की खपत

आपको बता दें कि बीते वित्त वर्ष 23 में बिजली की खपत 1,504.26 बीयू थी वहीं वित्त वर्ष 22 में खपत 1,374.02 बीयू थी।

उर्जा मंत्रालय ने क्या लगाया था अनुमान?

ऊर्जा मंत्रालय ने यह अनुमान लगाया था कि गर्मियों के दौरान देश में बिजली की मांग 229 गीगावॉट तक पहुंच जाएगी लेकिन बेमौसम बारिश के कारण अप्रैल-जुलाई में मांग अनुमानित स्तर तक नहीं पहुंची।

सितंबर में सबसे अधिक डिमांड

चालू वित्त वर्ष के सितंबर महीने में बिजली की मांग सबसे अधिक थी। सितंबर में बिजली की डिमांड 243.27 गीगावॉट के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। अगर जून की बात करें तो जून में मांग बढ़कर 224.1 गीगावॉट के पर पहुंच गई थी जो जुलाई में घटकर 209.03 गीगावॉट रह गई थी।

अगस्त में बिजली की अधिकतम मांग 238.82 गीगावॉट तक हुई फिस सितंबर में नए रिकॉर्ड पर पहुंची। इसके बाद अक्टूबर में अधिकतम मांग 222.16 गीगावॉट रही वहीं पिछले महीने यानी नवंबर में बिजली की मांग 204.86 गीगावॉट रही।

इन महीनों में क्यों बढ़ी मांग?

विशेषज्ञों के मुताबिक अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में बिजली की खपत बढ़ने का मुख्य कारण ह्यूमिड मौसम और त्योहारी भीड़ के प्रभाव के कारण औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि थी।

इस सप्ताह की शुरुआत में, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने लोकसभा को एक लिखित उत्तर में बताया था कि

2013-14 से 2022-23 तक ऊर्जा के मामले में बिजली की मांग 50.8 प्रतिशत बढ़ गई है। उन्होंने सदन को बताया कि बिजली की अधिकतम मांग 2013-14 में 136 गीगावॉट से बढ़कर सितंबर 2023 में 243 गीगावॉट हो गई है।