भोपाल । गोवा की फैनी शराब की पहचान सारे देश में है। वैसी ही पहचान मध्य प्रदेश की हेरिटेज शराब की बने। इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार प्रयास कर रही है। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम की होटलों में हेरिटेज शराब का ट्रायल पूरा कर लिया गया है। आबकारी विभाग हेरिटेज शराब के टेस्ट और उसकी पैकिंग को लेकर जो फीडबैक मिला था। उसके अनुसार सारे परिवर्तन कर लिए गए हैं। हेरिटेज शराब को मोन्ड ब्रांड के नाम से बेचने की तैयारी शुरू हो गई है।
 हेरिटेज शराब का निर्माण आदिवासी स्व सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। इसमें आदिवासियों को उचित लाभ मिले। वहीं हेरिटेज शराब पीने वालों को भी ज्यादा दाम ना चुकाना पड़े।मध्य प्रदेश सरकार इस नीति पर काम कर रही है।
 हेरिटेज शराब की बिक्री शराब दुकानों से होगी, या इसके लिए आर्थिक काउंटर खोले जाएंगे। आबकारी नीति में अभी इसका उल्लेख नहीं किया गया है। अलीराजपुर और डिंडोरी में आदिवासी स्व सहायता समूह द्वारा हेरिटेज शराब बनाने की यूनिट लगाई गई है।

हेरिटेज शराब 750 मिली
लीटर की पैकिंग में उपलब्ध होगी। मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है। जिसने महुआ से शराब का निर्माण वैध तरीके से करने और वैध तरीके से बेचने का प्लेटफार्म तैयार किया है।मध्य प्रदेश सरकार इसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग करने की तैयारी कर रही है।

देरी की वजह
मध्य प्रदेश सरकार हेरिटेज शराब की क्वालिटी, टेस्ट, खुशबू और कीमतों को इस तरह से तैयार करना चाहती है। हेरिटेज शराब तेजी के साथ लोकप्रिय हो। इसका लाभ आदिवासी समुदाय को मिले। मध्य प्रदेश की बनी हेरिटेज शराब सारे देश में अलग पहचान बनाए। इस शराब में मिथाइल अल्कोहल नहीं होता है। हेरिटेज शराब के निर्माण में किसी तरह के केमिकल का प्रयोग भी नहीं किया जा रहा है। दुनिया की यह एकमात्र शराब होगी, जो महुआ के फूलों से तैयार होगी।