इस साल जीडीपी 7 प्रतिशत रहने का अनुमान

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वे सोमवार को सदन में पेश किया। इस आर्थिक सर्वे में सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान देश की वास्तविक जीडीपी या वृद्धि दर 6.5-7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर और निजी निवेश में निरंतर गति से पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा मिला है। सकल स्थायी पूंजी निर्माण में 2023-24 में वास्तविक रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश का राजकोषीय घाटा (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में) पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में 1.6 प्रतिशत अंक बढ़ा।
आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने कहा है कि सेवा क्षेत्र एक प्रमुख रोजगार प्रदाता बना हुआ है वहीं निर्माण क्षेत्र भी हाल ही में प्रमुखता से बढ़ रहा है, जो बुनियादी ढांचे के लिए सरकार की ओर की गई पहल नतीजा है। सर्वे के अनुसार खराब ऋणों की विरासत के कारण पिछले एक दशक में विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन कम हुआ पर 2021-22 की तुलना में इसमें सुधार हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को बहुप्रतीक्षित केंद्रीय बजट 2024-25 के अनावरण से ठीक पहले सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया।

एग्रीकल्चर सेक्टर पर फोकस


सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की प्रगति को और रफ्तार देने के लिए कृषि क्षेत्र इंजन का काम करेगा और सर्वे में एग्रीकल्चर सेक्टर पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया गया है। इसके अलावा सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण पर देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने पर भी जोर रहा है। इसके साथ ही भारत को ड्रोन हब बनाने पर भी सरकार का फोकस रहेगा।  

बेरोजगारी घटी अब रोजगार पर जोर

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि नॉन एग्रीकल्चर सेक्टर में साल 2030 तक औसतन सालाना करीब 78.5 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत है। हालांकि, इसमें साफ किया गया है कि देश में बेरोजगारी दर में गिरावट आई है और कोविड-19 महामारी के बाद से इसमें गिरावट आ रही है। 15 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों के लिए शहरी बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत से घटकर मार्च 2024 तक 6.7 प्रतिशत पर आ गई।

महिला स्वरोजगार में तेजी

इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि महिला सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट में तेजी आई है और सरकार के प्रयासों के चलते भारत की 57.3 प्रतिशत वर्कफोर्स सेल्फ-एम्प्लॉयड है और इसमें महिलाओं की भागीदारी उत्साह पैदा करने वाली है, जिसमें महिला सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट में जबर्दस्त बदलाव देखने को मिला है।

बैंकों की बैलेंस शीट दुरुस्त

इकोनॉमिक सर्वे में कंपनियों और बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत होने का दावा किया गया है। इसके साथ ही कहा गया है कि प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को और भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। आर्थिक सर्वेक्षण में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी के कर्मचारियों पर  पडऩे वाले असर को लेकर काफी अनश्चितता है। सर्वे रिपोर्ट में अनुमान जाहिर किया गया है कि एआई से प्रोडक्टिविटी में बढ़ोतरी तो होगी, लेकिन इसका कुछ सेक्टर्स में रोजगार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

विदेशी भारतीयों ने जमकर भेजा पैसा

सर्वे में ये भी जिक्र किया गया है कि जो भारतीय मूल के लोग दुनिया के तमाम देशों में रह रहे हैं, उन्होंने अपने परिजनों को जो पैसा भेजा है, उसका आंकड़ा लगातार बढ़ा है। डेटा के मुताबिक, विदेश में बसे भारतीयों ने 2024 के दौरान देश में 124 अरब डॉलर का रेमिटेंस भेजे हैं। साल 2025 में इसके 129 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान।

भारतीय बाजार का प्रदर्शन शानदार


भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यस्थ है और आर्थिक सर्वे में इसकी ग्रोथ स्टोरी में कैपिटल मार्केट की अहम भूमिका रही है। स्टॉक मार्केट ग्लोबल टेंशन और तमाम आर्थिक झटकों के बीच शानदार परफॉर्मेंस दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, शेयर मार्केट का निफ्टी-50 इंडेक्स वित्त वर्ष 24 के दौरान 26.8 फीसदी की बढ़त में रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 8.2 फीसदी की गिरावट में था।

 महंगाई में कमी की उम्मीद

इकोनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट में मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद जताई गई है। ऐसे में महंगाई दर  में गिरावट आ सकती है। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर के 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है।

कॉलेज पासआउट दो से में एक के पास रोजगार के लिए जरूरी योग्यता नहीं

आर्थिक सर्वे के अनुसार भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या का 65 प्रतिशत 35 वर्ष से कम उम्र का है, लेकिन उनमें से कई लोगों के पास आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक कौशल का अभाव है। अनुमान बताते हैं कि लगभग 51.25 प्रतिशत युवा रोजगार के योग्य माने जाते हैं। दूसरे शब्दों में इसका मतलब है कि सीधे कॉलेज से बाहर आने वाले लगभग दो में से एक युवा अब भी आसानी से रोजगार के योग्य नहीं है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पिछले दशक में स्किल्ड युवाओं का प्रतिशत लगभग 34 प्रतिशत से बढक़र 51.3 प्रतिशत हो गया है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने बताया कि भारत में शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की स्थिति पर एनएसएसओ, 2011-12 (68वें दौर) की रिपोर्ट के अनुसार, 15-59 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में लगभग 2.2 प्रतिशत ने औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वहीं, 8.6 प्रतिशत ने गैर-औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

2030 तक गैर कृषि क्षेत्र में सालाना 78.5 लाख रोजगार सृजन की जरूरत

आर्थिक सर्वे के अनुसार देश में बढ़ते मानव संसाधन को काम मुहैया कराने के लिए गैर कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना 78.5 लाख रोजगार सृजन करने की जरूरत है। सर्वे में कहा गया है कि कामकाज की उम्र का हर व्यक्ति नौकरी ही नहीं करेगा। उनमें से कुछ स्वरोजगार भी करेंगे और कुछ लोग नियोक्ता भी बनेंगे। सर्वे में कहा गया है कि देश का आर्थिक विकास नौकरियों से ज्यादा लोगों को आजीविका मुहैया कराने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सभी स्तर के सरकारों और निजी क्षेत्र को भी इस में योगदान देना होगा। आर्थिक सर्वे के अनुसार कृषि क्षेत्र का श्रम बल जो 2023 में 45.8 प्रतिशत है वह 2047 तक धीरे-धीरे घटकर 25 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। इसलिए 2030 तक हमें गैर कृषि क्षेत्र में सालाना करीब 78.5 लाख रोजगार मुहैया कराने होंगे।