नई दिल्ली । हत्या के मुकदमे में आजीवन कारावास की सजा होने पर जेल में बंद थाना देहात क्षेत्र के एक गांव के दोषी की रिहाई के लिए उसके पक्ष के लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार करा लिए। दस्तावेजों में उसकी उम्र 61 के स्थान पर 71 वर्ष दर्शा दी। इन दस्तावेज के आधार पर न्यायालय में उसकी रिहाई के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया। जिसे पीड़ित पक्ष की आपत्ति पर न्यायालय ने निरस्त कर दिया। मामले में न्यायालय के आदेश पर तीन नामजद आरोपित सहित तहसील व ब्लॉक के कुछ अज्ञात कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई है। पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में गांव सलाई के अनवर अली ने बताया कि 13 जुलाई 1983 को उसके दादा जरीफ अमद की गांव के ही अली मुर्तजा, तशरीफ, अकीदत, कलुवा, अनीस उर्फ शाहे आलम, इंसाद आदि ने हत्या कर दी थी। मामले में न्यायालय ने सभी आरोपितों को दोषी करार देकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जेल में बंद अलीमुर्तजा की समय पूर्व रिहाई के लिए उसके पक्ष के लोगों ने वर्ष 2019 में फर्जी दस्तावेज तैयार कराए, जिसमें अलीमुर्तजा की उम्र 61 के स्थान पर 71 वर्ष दर्शा दी। इस काम में बीएलओ के साथ-साथ तहसील व ब्लाक के कर्मचारियों से आरोपित पक्ष का साथ देने का आरोप है। इन दस्तावेज को आरोपितों ने अलीमुर्तजा की रिहाई के लिए न्यायालय में प्रस्तुत किया था। जिस पर पीड़ित ने आपत्ति जताई थी। जिसके आधार पर न्यायालय में रिहाई प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया था। इसकी शिकायत पीड़ित ने थाने से लेकर अधिकारियों से की थी लेकिन, रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। इंसाफ के लिए पीड़ित ने न्यायालय की शरण ली। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक नीरज कुमार ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर गांव सलाई के नफीस, मुंतसिर, शानेआलम, बीएलओ, तहसील कर्मचारी व ब्लाक कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। जांच कर निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी।