निराश मत होना, राजनेताओं से सीखो
भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजस्थान कोटा में कोचिंग कर रहे मप्र के स्टूडेंट्स के साथ चर्चा की। सीएम ने हास - परिहास के माहौल में कोचिंग स्टूडेंट्स को संबोधित किया। उन्होंने छात्रों से कहा कि कोई डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहता है अगर सफलता न मिले तो निराश मत होना। आपको राजनेताओं से सीखना चाहिए। भले ही बार-बार हार का सामना करना पड़े, लेकिन नेता चुनाव लडऩा नहीं छोड़ता।
सीएम ने कहा आपमें से कोई मेडिकल में जा रहा होगा, कोई जेईई मेन्स देना चाहता होगा। कोई इंजीनियरिंग में जाना चाहता होगा। और कोई कारण से नहीं भी जाना होगा रास्ते में रहना होगा। अगली बार देंगे, और अगली बार देंगे। तो मन निराशा से भर जाता होगा। आप एक काम किया करो आप राजनेताओं की तरफ देख लिया करो। इस दौरान एक छात्र ने कहा, बार-बार यदि हम किसी कारण पीछे रह जा रहे हैं तो राजनेताओं से सीखना चाहिए। राजनेता कई चुनाव हार जाते हैं लेकिन ऐसा नहीं कि वो बार-बार चुनाव नहीं लड़ते। नेताओं से सीखना चाहिए कि एक बार नाकामी मिलने से आपका जीवन डिसाइड नहीं करेगा। आपको सफलता के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए। ये सुनकर सीएम खूब जोर से हंसे और बोले तुम तो पुरा भाषण देने लगे।
कॉलेज प्रेसिडेंट बनने छोड़ी थी एमबीबीएस की पढ़ाई
सीएम ने कहा, मैं फस्र्ट ईयर में साइंस कॉलेज में जॉइंट सेक्रेटरी का चुनाव लड़ा। उस समय पीएमटी होती थी। 16 साल की उम्र में जॉइंट सेक्रेटरी बन गया। मेरे पहले 10-20 साल से परिषद जीती नहीं थी। हमारे आने के बाद जीत गई। तो जैसे पीएमटी में सिलेक्शन हुआ तो इंदौर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ले लिया। हमारे यहां के लोग बोले तुम कहां जा रहे हो। मैंने कहा मैं डॉक्टर बनने जा रहा हूं। तब किसी ने कहा कि डॉक्टर बनोगे लेकिन वहां चुनाव नहीं होते। यहां आओ चुनाव लड़ो हम बीएससी सेकंड ईयर में प्रेसिडेंट बनाएंगे। हमारे यहां तो लगातार परिषद को चुनाव लड़ाना है। मैं तो ऐसा भोला भाला था कि डॉक्टरी छोडक़र चुनाव लडऩे आ गया। मैं सेकंड ईयर प्रेसिडेंट बना, यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट बना। मैं इसलिए कह रहा हूं कि जीवन के जिस भी मार्ग से चलो वहां सफलता आपका इंतजार कर रही है। इसमें कोई शंका नहीं हैं। ये विश्वास हमको रखना चाहिए।
सीएम ने बताई संतों की यूजी-पीजी
सीएम डॉ यादव ने कहा कि, हमारे यहां 27 नक्षत्र एक साल में चार बार आते हैं। 27 को चार बार जोड़ें तो 108 होता है। अर्थात कोई संत पूरे एक वर्ष साधना करेंगे तो वो 108 हो गए। जिन्होंने एक साल से ज्यादा साधना की तो वो 1008 होते हैं। इनकी यूजी-पीजी आपको मालूम पड़ गई। अपने यहां कोई 107 नहीं रह जाए, न 110 होगा। ये नक्षत्र गणना से होता है। हमारी घड़ी घंटे, मिनट सेकंड से नहीं है। ये एक गति से सूर्य की परिक्रमा कर रही है। एक ग्रह से दूसरे ग्रह की गति जो मालूम पड़ रही है वो आपकी घड़ी है। कोई ये कहे कि हम ग्रह नहीं मानते तो वो गलत होगा। पृथ्वी की परिक्रमा से हमारे साल की गणना होती है। ये साल की गणना में सबके अलग-अलग साल होते हैं। जैसे किसी मित्र को आप उसके जन्मदिवस पर शुभकामना दो, जन्मदिवस साल में एक बार आता है। अगर मैं अभी ये सिद्ध कर दूं कि आपका जन्म समय आज अभी ही है। तो मेरी बात गलत है या सही। अगर मैं कहूं कि सही है तो ?