भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की नेता बृंदा करात ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान को चौंकाने वाला बताते हुए भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।बृंदा करात के अनुसार, प्रधानमंत्री के शब्दों ने सांप्रदायिक शत्रुता और घृणा फैलाने वाले भाषण को भड़काने के खिलाफ भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया है, फिर भी चुनाव आयाेग उचित कार्रवाई करने में विफल रहा है।प्रधानमंत्री भारत के नागरिक हैं। प्रधानमंत्री भारत के नागरिकों से ऊपर नहीं हैं। प्रधानमंत्री भारत के कानून से ऊपर नहीं हैं। प्रधानमंत्री को भारत के कानूनों को स्वीकार करना होगा। जब पीएम कानूनों का उल्लंघन करते हैं भारत के जो लोग समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने के खिलाफ हैं, एक समुदाय के बीच नफरत फैलाने के खिलाफ हैं, उन्हें कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।

यह प्रधानमंत्री की ओर से आने वाला एक बिल्कुल चौंकाने वाला बयान है। यह लगभग अविश्वसनीय है कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश के प्रधानमंत्री को मर्यादा में बोलना चाहिए, बिल्कुल स्पष्ट रूप से वह अपने भाषण में एक सांप्रदायिक कट्टरपंथी की तरह बोलते हैं। चुनावों में ऐसी भाषा का उपयोग करना भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर ठीक नहीं है। यह नफरत भरा भाषण है, बहुत नफरत भरा भाषण है।सीपीआईएम नेत्री ने पीएम पर एक विशिष्ट समुदाय को निशाना बनाने और चुनावी माहौल के दौरान वोट जुटाने के लिए नफरत भरे भाषण का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।