भोपाल । मप्र की करीब साढ़े सात करोड़ आबादी को बिजली के बिल का फिर से करंट लगने वाला है। राज्य की बिजली कंपनियों ने एक बार फिर बिजली का दाम बढ़ाने की तैयारी की है। एक यूनिट बिजली के दाम में 28 से 58 पैसे तक की बढ़ोतरी हो सकती है। राज्य की तीन बिजली कंपनियों ने कमरतोड़ महंगाई के बीच आम उपभोक्ताओं पर नया बोझ डालने की तैयारी की है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा फ्यूल कास्ट के नाम पर हर महीने बिजली के दाम तय किए जाने का अधिकार बिजली कंपनियों को दिए जाने का असर दिखने लगा है। इससे चुनावी साल में बिजली उपभोक्ताओं को झटका लग रहा है।
जानकारी के अनुसार बिजली कंपनियों ने अपने स्तर पर बिजली के दामों में बढ़ोत्तरी करना शुरू कर दिया है। नई व्यवस्था बिजली कंपनियों ने 24 अप्रैल से लागू की है। कंपनी का दावा है कि सरचार्ज घाटे के आधार पर लगाया जा रहा है। बिजली कंपनियां हर महीने अब एफसीए की जगह फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) वसूल रही हैं। इसकी गणना हर महीने की जा रही है। इसके आधार पर आपके बिजली बिल हर महीने बढ़कर ही आएगा। इससे पहले हर तिमाही में फ्यूल कॉस्ट एडजेस्टमेंट (एफसीए) नियामक आयोग तय करता था। इससे साल में चार बार एफसीए बिलों में जुड़ता था। इस जनवरी 2023 से मार्च तक के लिए इसे 34 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया था। यानी एक साल में 34 पैसे प्रति यूनिट बिजली महंगी हो गई। अब एफसीए की जगह फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) है। इससे पहले महीने अप्रैल-मई में ही बिजली 36 पैसे (200 यूनिट तक) प्रति यूनिट तक महंगी कर दी है। यह सरचार्ज हर स्लैब के साथ बदलेगा और बिल में आने वाले एनर्जी और फिक्स चार्ज का पांच फीसदी लिया जाएगा।

अभी मार्च के महीने में जो बिजली बिल आया है, उसमें बिजली कंपनियों ने 5 फीसदी सरचार्ज वसूल लिया है। यह सरचार्ज बिजली कंपनियों ने 24 अप्रैल से लागू किया है। अगले महीने के बिल में यह सरचार्ज 8 फीसदी तक बढ़ सकता है। दरअसल केंद्र सरकार ने विद्युत नियम 2005 में संशोधन करते हुए बिजली कंपनियाँ को हर महीने फ्यूल कॉस्ट तय करने का अधिकार दिया है। इसके आधार पर यह मनमानी की जा रही है। बिजली कंपनियों ने पहली बार फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) की गणना की है। इस गणना के मुताबिक बिजली कंपनियों ने 6.80 फीसदी एफपीपीएएस वसूलना तय किया था, लेकिन पहली बार बिजली कंपनियों ने दरियादिली दिखाते हुए। सरचार्ज 5 फीसदी ही वसूला है।
विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को महंगाई का छटका दिया है। मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी अब बिजली बिलों में लगने वाले एनर्जी और फिक्स चार्ज पर पांच फीसदी का सरचार्ज वसूल करेगी। सरचार्ज की यह नई व्यवस्था 24 अप्रैल से लागू है। लेकिन इसे अभी केवल 24 मई तक के लिए ही लागू किया गया है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है कि बिजली कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग की मंजूरी के बिना कोई चार्ज बढ़ा दिया है। मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी 24 मई के बाद उत्पादन खर्च की समीक्षा कर नए सिरे से सरचार्ज का प्रतिशत तय करेगी। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब बिजली कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग के अप्रूवल के बगैर कोई चार्ज बढ़ाया हो। नए प्रावधानों के मुताबिक पावर मैनेजमेंट कंपनी अब हर महीने यह सरचार्ज तय करेगी। अभी पांच प्रतिशत सरचार्ज लागू किया गया है। इसे फरवरी महीने के उत्पादन खर्च की समीक्षा के बाद तय किया गया है। मई में कितना सरचार्ज लगेगा, इसका निर्धारण मार्च के खर्च के आधार पर तय किया जाएगा।

आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश सहित देश भर में बिजली उपभोक्ताओं के लिए परेशानी बढ़ सकती है। क्योंकि केंद्र सरकार के द्वारा बिजली नियम 2005 में संशोधन करने का काम किया गया है। इसके लिए अब लागत तय करने हेतु आवश्यक नियमों का योग नियामक आयोग की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी, जिसके चलते बिजली कंपनियां अपने हिसाब से कास्ट तय कर सकेंगी। बता दें कि जिस प्रकार से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम रोज घटा बढ़ा सकती हैं। ठीक उसी प्रकार से अब बिजली कंपनियां भी हर महीने बिजली का फ्यूल कास्ट चार्ज तय कर सकेंगी। इसके लिए उन्हें अब बिजली नियामक आयोग के आदेश की आवश्यकता नहीं होगी। भारत सरकार ने बिजली नियम 2005 में संशोधन किया है, जिससे हर महीने फ्यूल कास्ट एडजेस्टमेंट तय करने का काम बिजली कंपनियों को सौंप दिया गया है। मध्य प्रदेश के अंदर भी बिजली नियामक आयोग ने ज्ञानमती प्रदान कर दी है। अब देखने वाली बात होगी कि इस निर्णय का असर उपभोक्ताओं के बिल पर किस प्रकार पड़ता है। कुछ अधिकारियों का मानना है कि उपभोक्ताओं को लाभ होगा तो कुछ इसे जनता के लिए हितग्राही बता रहे हैं। इस संबंध में प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग मध्य प्रदेश संजय दुबे ने बताया कि इससे आम जनता को कोई नुकसान नहीं होने वाला है, बल्कि भविष्य में फायदा भी होगा। क्योंकि बिजली कंपनियां राजस्व की जरूरत के हिसाब से फ्यूल कास्ट चार्ज करेंगे और कोई मनमानी नहीं कर सकेंगे। क्योंकि आयोग सालाना राजस्व की जरूरत के हिसाब से उनका आकलन भी करेगा और विभाग निरंतर इस ओर नजर बनाए रखेगा। मध्य प्रदेश सहित देशभर में अब तेल कंपनियों की तर्ज पर ही बिजली वितरण करने वाली कंपनियां अपना घाटा पूरा करने के लिए रेट को अपने हिसाब से तय करने का अधिकार रख सकेंगी। अब देखने वाली बात यही होगी कि इसमें सरकारी नियंत्रण किस प्रकार से सुनिश्चित किया जाता है, जिसके कारण उपभोक्ताओं को लाभ हो ना कि नुकसान।