बेंगलुरु । चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर ‎निकल गया है और जल्दी ही अब वह चंद्रमा की ग्रे‎विटी के करीब पहुंचने वाला है। नासा से ‎मिली जानकारी के अनुसार चंद्रयान-3 मंगलवार तड़के पृथ्वी की कक्षा से घूमने की सफल प्रक्रिया के बाद चांद की अगले चरण की यात्रा पर निकल गया है। वह अब एक पथ का अनुसरण करेगा जो इसे चंद्रमा के आसपास ले जाएगा। चंद्रमा की पांच दिवसीय यात्रा मंगलवार सहित 5 अगस्त को इसरो द्वारा अंतरिक्ष यान को अंडाकार चंद्र कक्षा में स्थापित करने के साथ समाप्त होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसरो ने कहा ‎कि मंगलवार के पेरिगी बर्न ने चंद्रयान -3 की कक्षा को सफलतापूर्वक 288 किमी x 3.7 लाख किमी तक बढ़ा दिया है। इस कक्षा में अंतरिक्ष यान चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश करता है। रिल्यून में एक महत्वपूर्ण पैंतरेबाजी से चंद्र कक्षा इंजेक्शन (एलओआई) हासिल किया जाएगा। इस बारे में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा ‎कि अब तक सब कुछ योजना के अनुसार हुआ है और इसे 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में ले जाने के लिए 5 अगस्त को एलओआई सहित पांच चंद्र-बाउंड अभ्यास होंगे।
बता दें ‎कि चंद्रयान-3, जो वर्तमान में ट्रांस-चंद्र कक्षा में है, चंद्रमा से लगभग 40,000 किमी की दूरी पर पहुंचने पर चंद्र गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अनुभव करना शुरू कर देगा और एलओआई के माध्यम से चंद्र कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह ऑपरेशन 20-25 मिनट का होने की उम्मीद है।
जबकि ट्रांस-लूनर इंजेक्शन (टीएलआई), मंगलवार को किया गया 20-21 मिनट का ऑपरेशन और 5 अगस्त एलओआई के बीच कोई नियोजित अभ्यास नहीं है। यदि इसरो को अंतरिक्ष यान के अभिविन्यास या वेग को बदलने की आवश्यकता है तो वह टीएलआई सुधार कर सकता है। चंद्रयान-2 को ऐसे एक से अधिक छोटे सुधारों की आवश्यकता थी। एक बार जब 5 अगस्त और 17 अगस्त के बीच पांच चंद्र-संबंधित अभ्यास पूरे हो जाएंगे, तो लैंडिंग मॉड्यूल, जिसमें विक्रम (लैंडर) और प्रज्ञान (रोवर) शामिल होंगे, प्रणोदन मॉड्यूल से अलग हो जाएंगे। इसके बाद इसरो को विक्रम पर आगे डी-ऑर्बिट अभ्यास करने की आवश्यकता होगी।