उज्जैन ।  ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से सोमवार को श्रावण मास में भगवान महाकाल की आखिरी सवारी निकली। भगवान महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरूड़ पर शिव तांडव तथा नंदी पर उमा महेश रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले। देशभर से करीब दो लाख भक्त सवारी देखने के लिए उज्जैन पहुंचे। शाम चार बजे शाही ठाठ-बाट के साथ सवारी की शुरुआत हुई। परंपरागत मार्ग से होकर पालकी शिप्रा तट पहुंची। यहां पुजारियों ने शिप्रा जल से भगवान का अभिषेक- पूजन किया। पूजन पश्चात सवारी निर्धारित मार्ग से होकर शाम करीब सात बजे पुन: मंदिर पहुंची। सवारी में कलेक्टर आशीषसिंह व एसपी सत्येंद्रकुमार शुक्ला हाथों में तिरंगा ध्वज थामे घाड़े पर सवार होकर हर घर तिरंगा अभियान का प्रचार प्रसार करते निकले। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से श्रावण मास की आखिरी सवारी धूमधाम से निकाली गई। सवारी में भगवान महाकाल भक्तों को चार रूपों में दर्शन देने निकले। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिव तांडव तथा नंदी पर उमा महेश रूप में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले । 15 अगस्त को भादौ मास की पहली तथा 22 अगस्त को शाही सवारी निकलेगी। महाकाल मंदिर से शुरू होकर सवारी कोटमोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के तट पहुंची। यहां महाकाल पेढ़ी पर पुजारियों ने पालकी में विराजित भगवान चंद्रमौलेश्वर का शिप्रा जल से पूजन अर्चन किया। पूजन के बाद सवारी रामानुजकोट, गणगौर दरवाजा तिराहा, कार्तिकचौक, जगदीश मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबारोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंची। पिछली दो सवारियों में उमड़े आस्था के सैलाब को देखते हुए प्रशासन ने सवारी मार्ग पर सुरक्षा के चाकचौबंद इंतजाम किए थे। भीड़ को दखते हुए स्कूली वाहनों के आवागमन में होने वाली परेशानी को देखते हुए शहर के समस्त स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए सोमवार का अवकाश घोषित किया गया था ।