नई दिल्ली। काफी लंबे वक्त से 'राजद्रोह कानून' में बदलाव की मांग हो रही है। इसको लेकर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि वो 'राजद्रोह कानून' के दंडात्मक प्रावधान पर पुर्निविचार कर रही। ये प्रक्रिया उन्नत चरण में है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई टाल दी। दरअसल इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई हैं। जिसमें दंडात्मक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला की पीठ ने इस पर सुनवाई की। इस दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने खंडपीठ को बताया कि सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए की फिर से जांच करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
वेंकटरमणि ने कहा कि परामर्श प्रक्रिया अग्रिम चरण में है और इसके संसद में जाने से पहले उन्हें दिखाया जाएगा। उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि इस मामले को मानसून सत्र के बाद सुनवाई के लिए रखा जाए। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने शुरुआत में ही पीठ से मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए सात न्यायाधीशों की एक पीठ गठित करने की मांग की। इस पर खंडपीठ ने कहा कि अगर मामला सात जजों के पास भी जाना है तो पहले इसे पांच जजों की बेंच के सामने रखना होगा।