भोपाल । मप्र में भाजपा ने इस बार प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतने का लक्ष्य बनाकर काम किया है। इसके लिए पार्टी ने हर बूथ पर 370 मतदान बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। लेकिन कम मतदान और बदले चुनावी समीकरणों ने भाजपा को उलझन में डाल दिया है। विधानसभा चुनाव परिणाम और वर्तमान स्थिति को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार के चुनाव में जो हॉट सीटें थी, वहां बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है।
गौरतलब है कि मप्र में अंतिम चरण के मतदान के बाद चुनाव आयोग ने सभी सीटों पर मतदान के आंकड़े जारी किए हैं। आयोग के अनुसार प्रदेश की 29 सीटों पर 66.87 प्रतिशत मतदान हुआ है। पिछली बार प्रदेश में 71.16 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके अनुसार इस बार 4.29 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। कम मतदान को लेकर भाजपा और कांग्रेस के अपने-अपने दावे हैं। लेकिन किसके दावे में कितना दम यह तो 4 जून को ही पता चल पाएगा। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने से राजगढ़ सीट चर्चा में आ गई। दिग्विजय सिंह 33 साल बाद राजगढ़ सीट से चुनाव मैदान में उतरे। टिकट की घोषणा के साथ ही उन्होंने पदयात्रा कर पूरे लोकसभा क्षेत्र को नाप दिया। उन्होंने बड़ी सभाएं करने की बजाय नुक्कड़ सभाएं कर और मतदाताओ से घर-घर जाकर मुलाकात की। दिग्विजय सिंह ने मतदाताओं को सीएम रहते और उसके बाद राजगढ़ के लिए किए गए कार्य याद दिलाए और अपना अंतिम चुनाव बताकर भावनात्मक अपील की। भाजपा ने राजगढ़ से मौजूदा सांसद रोडमल नागर पर फिर से दांव खेला। नागर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी के नाम पर वोट मांगे। इस सीट पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने नागर के समर्थन में पूरी ताकत झोक दी। दिग्विजय सिंह अपना आखिरी चुनाव जीतेंगे या रोडमल नागर के सिर चौथी बार जीत का सेहरा बंधेगा, ये 4 जून को सामने आएगा। राजगढ़ सीट पर 75.39 प्रतिशत वोटिंग हुई।


आधा दर्जन सीटें मझधार में

गौरतलब है कि 2019 में भाजपा ने प्रदेश की 28 सीटें जीती थी। इसलिए इस बार सभी 29 सीटें जीतने का दम भर रही है। वैसे तो अधिकतर सीटों पर भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है, लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां चुनाव में उलटफेर हो सकता है। इन सीटों पर सभी की निगाहें टिकी है। चुनाव परिणाम के लिहाज से ये सीटें हॉट बनी हुई हैं। इन सीटों में सबसे पहला नाम छिंदवाड़ा है। छिंदवाड़ा सीट पर मुख्य मुकाबला मौजूदा सांसद व कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ और भाजपा उम्मीदवार के बीच है। नकुलनाथ पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे हैं। 2019 के चुनाव में मप्र में छिंदवाड़ा एकमात्र सीट थी, जहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इस सीट को जीतने के लिए इस चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी। भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट की कमान नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी थी। भाजपा के केंद्रीय से लेकर मप्र के नेताओं ने छिंदवाड़ा में जमकर प्रचार किया। वहीं, कमलनाथ ने अकेले अपनी दम पर पूरा चुनाव लड़ा। उनका पूरा फोकस छिंदवाड़ा की जनता से उनके 40 साल पुराने रिश्ते और छिंदवाड़ा क्षेत्र के लिए उनकी द्वारा किए गए विकास कार्यों पर रहा। इस चुनाव में सबसे ज्यादा 79.83 प्रतिशत वोटिंग छिंदवाड़ा सीट पर हुई। चुनाव में मंडला सीट पर भाजपा-कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री व मौजूदा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को एक बार फिर मैदान में उतारा, जबकि कांग्रेस ने अपने विधायक ओमकार सिंह मरकाम पर दांव खेला। एंटी इंकम्बेसी से जूझते हुए कुलस्ते को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी का सहारा है। कांग्रेस प्रत्याशी मरकाम जुझारू और सक्रिय नेता हैं। अपनी सक्रियता के चलते वे चुनाव में कुलस्ते को कड़ी टक्कर देते नजर आए। इस सीट पर मंडला 72.49 वोटिंग हुई। घार सीट पर भी भाजपा कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। भाजपा ने सावित्री ठाकुर और कांग्रेस ने राधेश्याम मुवेल पर दांव खेला। दोनों प्रत्याशियों ने चुनाव मे जमकर पसीना बहाया। चूंकि धार लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में से 5 पर कांग्रेस का कब्जा है, इसलिए कांग्रेस को यहां से जीत की आस है, जबकि भाजपा को मोदी की गारंटी के दम पर जीत की उम्मीद है। धार में 71.50 प्रतिशत वोटिंग हुई। मुरैना में भी भाजपा-कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला है। इस सीट पर दो क्षत्रिय नेताओं के बीच टक्कर है। भाजपा ने जहां शिवमंगल सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कांग्रेस के टिकट पर सत्यपाल सिंह सिकरवार मैदान में है। इस सीट पर 58.22 प्रतिशत वोटिंग हुई है। रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अनिता सिंह चौहान और कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया के बीच सीधा मुकाबला है। मौजूदा सांसद जीएस डामोर का टिकट कटने और युवा नेत्री अनिता को टिकट देने से भाजपा नेताओ में खासी नाराजगी रही। अनिता वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी है। सीएम डॉ. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इस सीट पर खूब प्रचार किया। वही, कांतिलाल भूरिया की यह पारंपरिक सीट है। भूरिया इस क्षेत्र का वजनदार आदिवासी चेहरा है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री व सासद रहते क्षेत्र में किए गए कार्यों और लोगों से पुराने संबंधों के आधार पर वोट मांगे। रतलाम में 72.86 प्रतिशत वोटिंग हुई। सतना सीट पर भाजपा ने जहां मौजूदा सांसद गणेश सिंह पर पांचवी बार दांव खेला, वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरे व वर्तमान विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को मैदान मे उतारा। पूर्व विधायक नारयण त्रिपाठी के बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने से सतना में मुकाबला रोचक गया। इस सीट पर चुनाव जातिगत समीकरण में उलझा हुआ है। इस सीट पर 5 लाख से ज्यादा ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में है। यही वजह है कि ब्राह्मण मतदाताओं को साधने के लिए तीनों प्रत्याशियो ने हर संभव प्रयास किया। चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा, यह 4 जून को सामने आएगा। इस सीट पर 63.22 प्रतिशत वोटिंग हुई। इंदौर भाजपा की परंपरागत सीट है। इंदौर में अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय काति बम द्वारा नाम वापस लेने के बाद कांग्रेस यहां नोटा (इनमें से कोई नहीं) पर वोटिंग की अपील कर रही थी। लोगों को इस बात की उत्सुकता है कि इंदौर में आखिर नोटा पर कितने वोट पड़े। इंदौर में 60.53 प्रतिशत वोटिंग हुई।