प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर वंचितों और उपेक्षितों को अधिकार दिलाने काम किया है। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड-चंबल-विंध्य क्षेत्र की करीब 40 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन सीटों पर दलित वोट निर्णायक की भूमिका में हैं। बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में इस क्षेत्र में बहुजन समाजवादी पार्टी कमजोर हुई है। इन क्षेत्रों में भाजपा की डबल इंजन सरकार का लाभ लोगों को मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संत रविदास के प्रति जो अनुराग दिखा है, उसका लाभ भाजपा को मध्य प्रदेश चुनाव में मिल सकता है। 

बसपा का वोट भाजपा की ओर

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में अपना खासा वजूद रखने वाली बसपा लगातार कमजोर होती जा रही है। भाजपा की केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सरकार की नीतियों का लाभ दलितों और वंचितों को मिला है। उत्तर प्रदेश में इसी कारण बसपा का राजनीतिक वजूद संकट में है और उसका वोट बैंक भाजपा में आ गया है। मध्य प्रदेश में भी यही स्थिति दिख रही है। उत्तर प्रदेश से सटे इलाकों में जनता को उत्तर प्रदेश सरकार का काम काज भी दिख रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कामकाज से भी दलित महिलाओं में खासा उत्साह जागा है। लाडली बहना योजना का लाभ दलित महिलाओं को खूब मिला है। 

भाजपा सरकार ने दिया संत रविदास को मान-सम्मान 

12 अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सागर में कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित किया। इन परियोजनाओं में एक सौ करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाले संत शिरोमणि गुरुदेव श्री रविदास जी स्मारक की आधारशिला रखना, 1580 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार होने वाली दो सड़क परियोजनाओं का शुभारंभ और 2475 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया कोटा-बीना रेल मार्ग राष्ट्र को समर्पित करना शामिल है। संत रविदास का यह स्मारक 'समरसता' की भावना से ओतप्रोत है, क्योंकि इसमें 20 हजार से अधिक गांवों और 300 नदियों की मिट्टी का उपयोग किया गया है। मध्य प्रदेश के अनेक परिवारों ने 'समरसता भोज' के लिए अनाज भेजा है और पांच यात्राएं भी सागर में संपन्न हुईं। ये यात्राएं सामाजिक सद्भाव के नए युग का प्रतीक हैं। 

दलित-आदिवासी पर सरकार का अधिक फोकस 

15 नवंबर, 2022 को राज्य सरकार ने पेसा एक्ट लागू किया है। बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पेसा एक्ट लागू होने के बाद राज्य में आदिवासियों के अधिकारों में वृद्धि हुई है। इस एक्ट के तहत ग्राम पंचायतों को ताकत दी गई है। पेसा एक्ट के बाद ग्राम सभाओं की ताकत बढ़ी है। जल, जंगल, जमीन और संसाधन पर आदिवासियों के अधिकार को महत्ता दी गई है। राज्य में दलितों की आबादी प्रदेश की कुल आबादी की करीब 17 से 18 फीसदी है। बताया जाता है कि प्रदेश में दलित वर्ग के लगभग 64 लाख मतदाता मध्य प्रदेश में हैं। 

सरकार की प्राथमिकता में शुमार 

2020 में राज्य की सत्ता में वापसी करने के बाद भाजपा ने सबसे ज्यादा फोकस आदिवासी और दलितों पर किया है। शिवराज मंत्रिमंडल में दलित और आदिवासी मंत्रियों को कोटा बढ़ाया। शिवराज सिंह चौहान ने अपने 4 कार्यकाल में इस बार सबसे ज्यादा 25 फीसदी ओबीसी नेताओं को मंत्री बनाया। राज्य में 8 मंत्री ओबीसी कोटे के हैं। 3 एससी और 4 एसटी कोटे के मंत्री बनाए गए हैं। 230 विधानसभा की सीटों में से 35 सुरक्षित सीटें हैं।