भोपाल ।   मध्य प्रदेश में आदिवासी और दलित वर्ग ने करवट ली तो फिर भाजपा के हाथों में सत्ता लौट आई। इस चुनाव में आदिवासियों के लिए सुरक्षित 47 सीटों में भाजपा को 25, कांग्रेस को 21 व भारत आदिवासी पार्टी को एक सीट मिली।

पिछली बार हुआ था ऐसा

पिछले चुनाव 2018 में भाजपा का साथ छोड़कर आदिवासी वर्ग कांग्रेस के साथ चला गया था, इस कारण सुरक्षित 47 सीटों में कांग्रेस को 30, भाजपा को 16 और अन्य को एक सीट मिली थी। यह संख्या वर्ष 2013 की तुलना में आधी थी। 2013 में भाजपा को 31 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 15। एक अन्य निर्दलीय जीता था, जो भाजपा का ही बागी था।

तब निकला था यह निष्‍कर्ष

इस दृष्टि से देखा जाए तो भाजपा को आदिवासियों ने ही सत्ता से बाहर किया था। पिछले चार वर्ष में भाजपा ने आदिवासी वर्ग के लिए काफी कुछ किया। द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति बनाया, बिरसा मुंडा जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर गौरव दिवस के रूप में मनाया, जबलपुर में बलिदानी शंकर शाह-रघुनाथ शाह का स्मारक बनवाया। ऐसे अनेक कार्य करवाए कि आदिवासी वर्ग ने मप्र में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। उधर, अनुसूचित जाति (अजा) वर्ग के लिए सुरक्षित 35 सीटों में से भाजपा ने 25 सीटें जीतकर फिर विश्वास हासिल किया है। हालांकि, भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य गोहद से चुनाव हार गए।

अनुसूचित जनजाति (अजजा) के लिए सुरक्षित विधानसभा सीट-47

विधानसभा के परिणाम 2013-2018-2023

भाजपा--31--16--25
कांग्रेस--15--30--21
निर्दलीय- 1--1-- भारत आदिवासी पार्टी 1

अनुसूचित जाति (अजा) के लिए सुरक्षित सीटें- 3

विधानसभा के परिणाम 2013-2018-2023

भाजपा--28--18--25
कांग्रेस-- 4-- 17--10
बसपा-0-3- 0