हिन्दू धर्म में हर तिथि, हर पर्व का अत्यधिक महत्व शास्त्रों मे बताया गया है. ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत किया जाता है. इस शुभ तिथि पर वट वृक्ष की विधि-विधान के साथ व्रत करने से पति की लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही जो लोग संतान सुख से वंचित हैं. उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व होता है. इस बार इस तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है.

जानिए कब रखा जाएगा वट सावित्री का व्रत?
वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल 26 मई को अमावस्या तिथि का आरंभ दोपहर में 12 बजकर 12 मिनट के लगभग होगा और 27 तारीख को सुबह में 8 बजकर 32 मिनट के लगभग पर अमावस्या तिथि समाप्त होगी. शास्त्रीय विधान के अनुसार अमावस्या तिथि दोपहर के समय होने पर वट सावित्री व्रत किया जाता है. इसलिए यह व्रत 26 मई को किया जाएगा.

वट सावित्री व्रत का महत्व
यह व्रत करने से आपका वैवाहिक जीवन खुशहाल होगा और आपसी प्रेम संबंध प्रगाढ़ होंगे. साथ ही यह व्रत करने से संतान सुख भी प्राप्त हो सकता है. इस पूजा में वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है, क्योंकि माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों वटवृक्ष में वास करते हैं.

जानिए वट सावित्री की पूजन सामग्री
वट सावित्री व्रत में देसी घी, भीगा हुआ काला चना, मौसमी फल, अक्षत, दूध, वट वृक्ष की डाली, गंगाजल, मिट्टी का घड़ा, सुपारी, पान, सिंदूर, हल्दी और मिठाई को पूजन सामग्री में शामिल किया जाता है. जहां तक पूजा विधि की बात है, तो इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए, भगवान सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए, श्रृंगार करना चाहिए. उसके बाद वट वृक्ष की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.