नई दिल्ली। बिहार में एक लाख 20 हजार शिक्षकों की भर्ती हुई। बिहार सरकार ने नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित करने के लिए पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में बाकायदा कार्यक्रम भी आयोजित किया है। इस आयोजन के एक दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी ही सरकार के मंत्री की क्लास लगा दी। इसके बाद दो वाकये ऐसे हुए, जो ये बताते हैं कि महागठबंधन सरकार में शामिल राष्ट्रीय जनता दल का प्लान फेल करने के लिए सीएम नीतीश खुद उतर गए हैं। दरअसल, बिहार में एक साथ हुई इतने शिक्षकों की भर्ती को लेकर पिछले कुछ दिनों से क्रेडिट वॉर छिड़ा हुआ है। शिक्षक भर्ती को आरजेडी विधानसभा चुनाव के समय किए रोजगार के वादे से जोड़कर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है। और यही बात बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है नारा देने वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को नागवार गुजर रही है।
ऊर्जा विभाग के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी ही सरकार में आरजेडी कोटे के मंत्री आलोक मेहता को अपना और पार्टी का क्रेडिट लेने में नहीं लगे रहने की नसीहत दे डाली। इसे लेकर सवाल उठ ही रहे थे कि जिन नीतीश कुमार ने कुछ दिन पहले ही तेजस्वी को अपना बच्चा बताते हुए ये कहा था कि उनके लिए सबकुछ है, अचानक तल्ख क्यों हो गए। अब पटना के गांधी मैदान में मंच पर लगे पोस्टर और अखबारों में एक विज्ञापन को लेकर ये सवाल भी उठने लगे हैं कि नीतीश और आरजेडी के बीच क्या सबकुछ ठीक है? जेडीयू भी पहले ही ये साफ कह चुकी है कि इसका श्रेय नीतीश कुमार को जाता है। गांधी मैदान में मंच पर जो पोस्टर लगा है, उस पर और अखबारों में छपे ऐड में केवल नीतीश कुमार की तस्वीर का होना भी बहुत कुछ कहता है। जिस शिक्षा विभाग से जुड़ी नियुक्तियां हैं, उस विभाग के मंत्री चंद्रशेखर की तस्वीर भी नदारद है जो आरजेडी के ही हैं.