वैक्सीनेशन और बूस्टर डोज के नाम पर हो रही बैंकिंग धोखाधड़ी, जानें कैसे चूना लगा रहे हैं फ्रॉड
देश में कोरोना महामारी के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ आगाह करने के लिए पूरी सरकारी मशीनरी लगी होती है, लेकिन इस दिशा में दर्ज मामलों की संख्या बेहद चौंकाने वाली है। केंद्र सरकार ने संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया है कि देश में वैक्सीनेशन या फिर बूस्टर डोज के नाम पर बैंकिंग धोखाधड़ी की सिर्फ 5 शिकायतें आई हैं।
सरकार ने बताया कि रिजर्व बैंक की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले दो वित्तीय वर्षों यानि 2019-20 और 2020-21 के दौरान डेबिट और क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से जुड़ी धोखाधड़ी की श्रेणी में बैंकों को इस बारे में लाखों शिकायतें मिली हैं। वित्तवर्ष 2019-20 में कुल 73,552 धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायतें आईं और उसमें 2.5 करोड़ रुपए फंसे होने की जानकारी मिली है।
वहीं वित्तवर्ष 2020-21 में सामने आए कुल 69,818 धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में 2.07 करोड़ रुपए फंसे होने की बात पता चली है। सरकार की तरफ से ये भी बताया गया है कि कोविड टीकाकरण और बूस्टर डोज के नाम पर धोखाधड़ी से संबंधित मामलों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को दोनों वित्त वर्षों यानि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 5 शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
सरकार ने ये भी बताया है कि बैंकों और रिजर्व बैंक की तरफ सभी संचार माध्यमों के जरिए लोगों को समय समय पर आगाह किया जाता रहता है। साथ ही बैंकों की तरफ से ग्राहकों को लगातार ई-मेल और एसएमएस भी भेजे जाते हैं कि वो किसी के भी साथ अपने पासवर्ड और बैंकिंग संबंधी दूसरी जानकारियां न साझा करें, जिससे उनकी धोखाधड़ी के शिकार होने की आशंका रहे।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों के मुताबिक देश में ऐसे मामलों की संख्या ज्यादा होनी चाहिए थी लेकिन शायद उनकी रिपोर्टिंग उस पैमाने पर न हुई हो कि आंकड़ों में दिखें। वॉइस ऑफ बैंकिंग के संस्थापक और बैंकिंग मामलों के जानकार अश्विनी राणा के मुताबिक तमाम लोगों को इस बारे में व्यापक जानकारी नहीं है कि ऐसी धोखाधड़ियों की शिकायत कहां करें और अगर करें तो किस कैटेगरी में। इस वजह से बैंकों की इस श्रेणी में धोखाखड़ी की संख्या बेहद कम लग रही है।
साइबर मामलों के विशेषज्ञ पवन दुग्गल का भी कहना है कि इन आंकड़ों का जमीनी हकीकत से कोई लेनादेना नहीं है। कोविड वैक्सीन और बूस्टर डोज की आड़ में हो रहे फ्रॉड के शिकार बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। लोग फोन करके करते हैं कि वो प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन या फिर बूस्टर डोज लगवा देंगे बस थोड़ी प्रोसेसिंग फीस देनी पड़ेगी। एक बार ये फीस कार्ड के जरिए उन्हें भेजी जाती है तो वो पूरा खाता साफ कर देते हैं। उन्होंने कहा कि देश में रिपोर्टिंग का मैकेनिज्म अच्छा नहीं है। तमाम लोग मामलों को रिपोर्ट नहीं करते हैं। और रिपोर्टिंग व्यवस्था में भी ऐसी कैटेगरी का अभावा है। शिक्षित और अशिक्षित हर तरह का वर्ग इस फ्रॉड का शिकार हो रहा है ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।