पातालकोट में सेवाकार्य व दवासाजो के सम्मान से किया नये वर्ष का आगाज
जहां दवा व दुनिया काम नही आती ,वहां दुआ काम आती है - मुकेश बसेड़िया
गाडरवारा नगर के वरिष्ठ समाजसेवी मुकेश बसेड़िया ने जमीन से 1700 फिट नीचे बसे पाताल कोट में निवासरत प्राकृतिक सुन्दरता की पराकाष्ठा के स्थान पातालकोट में सीधे सादे,भरिया आदिवासियो के 12 ग्रामो डोंगरा, अम्मामाई , चिमटीपुर, रातेड़, कारेआम, घोन्घरी, पचगोल,घटलिंगा , हर्रा कछार,गैलडुब्ब्बा,सतलवा ,जड़मान्दल ,आदि
मे वृद्धजनो,बच्चो , बहनों ,युवाओं ,माताओं को कंबल ,गर्म कपड़े ,साड़िया, मच्छरदानी ,व वस्त्र वितरण कर आशीर्वाद लिया तथा बच्चो को वस्त्र, श्रृंगार ,टॉफी के साथ पठन लेखन सामग्री वितरण कर आदिवासियो को स्वच्छता , शिक्षा के प्रति जागरूक कर नशा के दुष्प्रभाव को समझाया
पाताल कोट मे विश्व प्रसिद्ध जड़ी बूटियाँ पायी जाती है, उनके संग्राहक व विक्रेता दवासाजो भुमकाओ को तिलक लगाकर वस्त्र प्रदान कर सम्मान किया
बसेड़िया ने बताया कि ये दवासाज भुमिका प्रकृति प्रदत्त जड़ीबूटियों को खोजकर असाध्य रोगों को भी सहजता से दूर करने की क्षमता रखते है ,इनका ये पुशतैनी कार्य है जो उपेक्षाओं के कारण धीरे धीरे खत्म हो रहा ,
प्रतिवर्ष इन दवासाजो का सम्मान कर इस प्राकृतिक खजाने को जीवंत रखने का छोटा सा प्रयास है
सर्व विदित है कि श्रीलंका के विश्वविख्यात क्रिकेटर जयासूर्या का इलाज इन्ही जड़ी बूटियों से हुआ था
सदा ही दुर्गम बनांचल में सेवा देने वाले समाजसेवी मुकेश बसेड़िया नये वर्ष ही नही अपितु प्रायः अपने सभी त्यौहार,दीपावली,होली, आदि उत्सव भी आदिवासी परिवारों के साथ मनाते है
बसेड़िया कहना है कि जरूरत पड़ने पर दवा तो कीमत देकर मिल ही जाती है पर दुआएं केवल सेवा से मिलती है
उपरोक्त सेवा कार्य से बनांचल ग्रामो में नशा मुक्ति के साथ शिक्षा के प्रति जागरूक करने व धर्मांतरण रोकने का भी प्रयास जारी हैं
उपरोक्त सेवा कार्य मे गौसेवक ओमप्रकाश कीर, तारा भरिया, गनेश जाटव, व इंस्टीट्यूट की बेटियां का विशेष सहयोग रहा
पातालकोट के आदिवासी भरियो के प्रमुख देव स्थल अम्मामाई में आयोजित रामसत्ता भजन प्रतियोगिता में शामिल होकर गायकों का सम्मान कर उपस्थित क्षेत्रवासियों से बेटी शिक्षा प्रोत्साहन व नशा से दूर रहने की अपील की