कलेक्टर ने जैविक कृषकों के खेतों का किया मुआयना
नरसिंहपुर. कलेक्टर सुश्री ऋजु बाफना ने गुरूवार को विकासखंड गोटेगांव के ग्राम रीछा, बासनपानी, बौछार में जैविक खेती करने वाले कृषकों के खेतों का मुआयना किया।
रीछा निवासी कृषक श्री लक्षमण सिंह पटैल ने बताया कि वे अपने खेतों में कीट नियंत्रक दशपर्णि अर्क एवं जीवामृत का उपयोग करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से उन्होंने खेतों में रासायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों का इस्तेमाल पूर्णत: बंद कर दिया है। इसका फायदा यह हुआ है कि फसलों पर इल्लियां नहीं होती, जिससे फसल नुकसान नहीं होता। उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई। भूमि की उर्वरा शक्ति पुन: लौटी। श्री पटैल ने बताया कि उन्होंने पिछले वर्ष अपने एक एकड़ खेत में मटर की फसल लगाई थी, जिसमें उन्हें लगभग 72 क्विंटल मटर की पैदावार हुई। कीट नियंत्रक दशपर्णि अर्क का उपयोग करने से मवेशी खेतों में नहीं आते हैं। इससे फसल नुकसान नहीं होता है। अपनी फसल को वह गोटेगांव और नरसिंहपुर मंडी में ले जाकर बेचते हैं। उनके जैविक खेती करने के इस प्रयास को अन्य कृषक भी अपना रहे हैं। उनके द्वारा फार्म स्कूल, कृषि कार्यशाला में प्रशिक्षण भी दिया जाता है। उन्होंने अपने फार्म में आम, आलू, गेंदा, मिर्ची व अन्य सब्जियां भी लगाई हैं।
बासनपानी में कृषक श्री महेन्द्र सिंह पटेल अर्न्तवर्ती खेती के माध्यम से अच्छा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। उस वर्ष उन्होंने अपने खेतों में चने के साथ सरसों लगाई है। सरसो के बीच की दूरी 12 फीट रखी है। इस जगह उन्होंने चने की फसल लगाई है। श्री पटेल बताते हैं कि इस नवाचार से फसलों में इल्ली नहीं लगती। फसल की सुरक्षा पाले एवं कोहरे से होती है। इनसे अब खेती में काफी फायदा हो रहा है।
ग्राम बौछार में कृषक श्री शरद मेहरा बनाते हैं कि कृषि विभाग की सहायता से उन्होंने अपने खेतों में मसूर लगाई है। इसके साथ उन्होंने गन्ने की फसल भी लगाई है। अंतर्वर्ती फसल के इस प्रयोग से उन्हें अच्छा उत्पादन हो रहा है। कृषि विभाग द्वारा उन्हें अपने खेतों के लिए स्प्रिंकलर के लिए अनुदान भी मिला है। वे बताते हैं कि उन्हें इस प्रयोग से 6.7 क्विंटल मसूर आसानी से हो जाती है। साथ ही गन्ने की पैदावार में भी वृद्धि होती है।