आज भी जीवित हैं गुरु शिष्य परंपरा
गुरु-शिष्य एक ऐसी परम्परागत है जिसमें शिष्य अपने गुरु के साथ उनके परिवार के सदस्य की तरह रहते हैं और अपने गुरु से विभिन्न तरीकों से शिक्षा ग्रहण करते हैं।
ऐसा ही कुछ देखने मिला आज नरसिंहपुर के शिष्य का अपने गुरु के लिए अनूठा प्रेम जी हां हम बात कर रहे है धर्मेश्वर महादेव मंदिर के पूज्य सिद्ध संत श्री काशी मुनि जी उदासीन महाराज और उनके शिष्यों के बारे में कुछ ही दिनों पूर्व 3मई 2022 को महाराज श्री का देवलोक गमन हो गया जिसको लेकर देश के कोने कोने में रहने वाले शिष्यों के लिए जैसे दुख का पहाड़ टूट पड़ा....
महाराज श्री से उनके शिष्यों का लगाव इतना था की उनकी आत्माशांति हेतु जगह जगह उनके नाम से पूजन अर्चन किए जा रहे।
इसी क्रम में महाराज श्री के प्रिय शिष्य पंडित मदन तिवारी ने पूरे परिवार सहित उनकी पूजन की साथ ही उनके नाम से भंडारे का आयोजन भी किया गया।