नई दिल्ली । केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन, राहुल गांधी और जी-20 से संबंधित मुद्दों पर कुछ अहम बातें देश के सामने रखी हैं, जोकि चर्चा का विषय बन गई हैं। जयशंकर ने कहा है कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कुछ ‘अधूरे काम’ हैं और दोनों ओर की सेनाएं और राजनयिक मुद्दे का हल निकालने के लिए काम कर रहे हैं। साथ ही जयशंकर ने चीन के साथ एलएसी पर हालात की तुलना यूक्रेन संघर्ष से करने के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद राहुल गांधी के प्रयास की निंदा की। उन्होंने कहा, ‘‘आज यूक्रेन में जो हो रहा है, अगर आप दोनों पक्षों को सुनें, तब एक पक्ष कहेगा कि वह नाटो के विस्तार और यूक्रेन की सरकार की प्रकृति से खतरा महसूस कर रहा है।’’ उन्होंने कहा, पश्चिम कहेगा कि रूस की विस्तारवादी मंशा है। भारत और चीन के बीच क्या है? यहां कोई नाटो नहीं है, सत्ता की कोई प्रकृति नहीं है। मुझे कहीं से तुलना नजर नहीं आती है।’’ 
जयशंकर ने चीन से संबंधित मुद्दे कहा कि ऐसी ‘‘बेबुनियाद अफवाहें’’ फैलायी जा रही हैं कि भारत के गश्ती इलाकों में ‘बफर जोन’ छोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गलवान संघर्ष 2020 के बाद से सेना और कूटनीति के संयोग से कुछ प्रगति हुई है, लेकिन उन्होंने माना कि दोनों पक्ष ‘‘सबकुछ सुलझाने में सक्षम’’ नहीं हुए हैं। एलएसी पर वर्तमान स्थिति के संबंध में जयशंकर ने कहा, ‘‘जो कुछ भी हुआ है वह परस्पर सहमति और बातचीत से हुआ है। लेकिन अभी भी काम अधूरे हैं।’’ 
वहीं दूसरी तरफ जी-20 मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि भारत जी20 को वैश्विक समृद्धि और विकास के उसके असल मुद्दे पर वापस ले आया है, जबकि यह संगठन साल भर पहले तक यूक्रेन संघर्ष के मुद्दे पर चर्चा कर रहा था और उससे प्रभावित हो रहा था। जयशंकर ने कहा कि जी20 वास्तविकता में वैश्विक शांति और सुरक्षा पर चर्चा करने वाला मंच नहीं था तथा भारत चाहेगा कि यह (जी20) दुनिया के कुछ 200 देशों से जुड़े मुद्दों पर लौट आए। 
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने जी20 को भविष्य के लिए अच्छा विषय दिया है... वैश्विक कौशल मैपिंग। दुनिया में कहां-कहां कौशल है और दुनिया में किन-किन जगहों पर उसकी मांग है। वे दो अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र में हैं।