नई दिल्ली । कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में हार के बाद से केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी सचेत हो गई है। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए ताबड़तोड़ बैठकों का दौर जारी है। बीजेपी सांगठनिक फेरबदल और नई चुनावी रणनीति के सहारे एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर के बावजूद आगामी चुनावों में जीत दर्ज करना चाहती है। गौरतलब है ‎कि इस साल के अंत तक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी को खोने के लिए तेलंगाना में कुछ नहीं है लेकिन मध्य प्रदेश में उसकी सत्ता है, जिसे वह हर हाल में बरकरार रखना चाहती है। वहीं, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को हराकर फिर से सरकार बनाना चाहती है लेकिन बदली सियासी परिस्थितियों में ये राह इतनी आसान भी नहीं है। सूत्र कहते हैं ‎कि बीजेपी के लिए फिलहाल विधानसभा चुनाव में किलेबंदी करना अहम है क्योंकि अगर विधानसभा चुनावों में पार्टी हारती है तो इसके कई मायने निकाले जा सकते हैं और उसके दूरगामी असर लोकसभा चुनाव पर पड़ सकते हैं क्योंकि बीजेपी अधिकांश चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ती रही है। ऐसे में विधानसभा चुनावों में हार मोदी की हार के रूप में विपक्ष प्रचारित कर सकता है।
भाजपा के ‎लिए राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, कर्नाटक और हिमाचल में कांग्रेस की जीत और मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की एकता ये कुछ ऐसे कारण हैं जो लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए मु‎‎श्किल बढ़ा सकते हैं। य‎दि साल 2019 के चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी ने तब 543 सदस्यों वाली लोकसभा में कुल 303 सीटें जीती थीं। तब कुल 161 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर थी लेकिन उनमें से 147 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ 09 सीट ही जीत सकी थी। शेष पांच सीटें अन्य ने जीती थीं। ये 147 सीटें एमपी, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, असम और राजस्थान से आती हैं।
लोग जानते हैं ‎कि अब बदली हुई परिस्थितियों में बीजेपी की सरकार कर्नाटक से जा चुकी है, जबकि हरियाणा में बीजेपी की हालत खस्ता है। इन दोनों राज्यों से लोकसभा की क्रमश: 28 और 10 सीटें यानी कुल 38 सीटें आती हैं। एमपी में वैसे तो बीजेपी की सरकार है लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी चुनाव हार चुकी थी लेकिन 2020 में दल-बदल के सहारे फिर से सरकार बना ली थी। माना जाता है कि वहां भी शिवराज सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर हावी है। इसके अलावा कांग्रेस छत्तीसगढ़ और राजस्थान में फिलहाल मजबूत स्थिति में दिखती है। हालांकि, गुजरात और असम में अभी भी बीजेपी सबसे मजबूत दल है। आंकड़े बताते हैं कि 2019 में बीजेपी द्वारा जीती गई कुल 303 में से 198 सीटों पर बीजेपी की टक्कर अन्य दलों से हुई थी। इनमें से कुल 116 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, जबकि अन्य को 76 सीटें मिली थीं। यहां कांग्रेस को सिर्फ 6 सीट मिली थी। ये सीटें कर्नाटक, हिमाचल, पंजाब, तेलंगाना, हरियाणा, बिहार और महाराष्ट्र की हैं। 
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी एकता की वजह से इन 198 सीटों पर बीजेपी को बड़ी मुश्किल हो सकती है क्योंकि बिहार में जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस का महागठबंधन तो महाराष्ट्र में एमवीए हावी है। पंजाब में आप, जबकि हिमाचल, कर्नाटक में कांग्रेस और तेलंगाना में केसीआर की पार्टी की पकड़ मजबूत है। चुनावी आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र, तेलंगाना और पंजाब की कुल 93 लोकसभा सीटों पर खुला मुकाबला था। यहां फ्री फाइट फॉर ऑल में 40 पर बीजेपी की जीत हुई थी, जबकि 12 पर कांग्रेस और 41 पर अन्य की जीत हुई थी।