होली का पर्व बीत चुका है | होली के बाद भाई दूज  का पर्व मनाया जाता है | ये पर्व चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है | इस बार होली भाई दूज का त्योहार 20 मार्च  रविवार को मनाया जाएगा | ये दिन बहन और भाई के रिश्ते को और मजबूत बनाने का दिन है | इस दिन बहनें अपने भाई की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं, इसके बाद अपने भाई के मस्तक पर तिलक करती हैं | भाई भी बहन के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं और हर परिस्थिति में उनका साथ निभाने का वादा करते हैं | तिलक करने तक बहनें व्रत रखती हैं और तिलक से पहले श्रीगणेश और श्रीहरि की पूजा का विधान है | आप जब इस बार भाई की सलामती के लिए पूजन करें

होली भाई दूज की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक बुढ़िया रहा करती थी | उसकी दो संतानें थीं, एक बेटा और एक बेटी | बुढ़िया ने बेटी का विवाह कर दिया | बहन के विवाह के बाद जब होली भाई दूज का पर्व आया तो भाई ने मां से बहन के घर जाकर तिलक करवाने के लिए कहा | बुढ़िया ने भी हामी भर दी | बेटा जंगल के रास्ते होते हुए बहन के घर जा रहा था | रास्ते में उसे बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ा | पहले एक नदी मिली, नदी बोली मैं तेरा काल हूं, तो बुढ़िया का बेटा बोला, मेरी बहन से तिलक करा लेने दो, फिर प्राण हर लेना | आगे जाकर उसे शेर मिला, उसने शेर से भी यही कहा | इसके बाद एक सांप डसने चला तो उसने सांप को भी ऐसा ही बोला | इसके बाद वो किसी तरह अपनी बहन के घर पहुंचा |

उस समय उसकी बहन सूत काट रही होती है | वो बहन को आवाज लगाता है तो वो उसकी आवाज को अनसुना कर देती है, लेकिन जब भाई दुबारा आवाज लगाता है तो बहन बाहर आ जाती है | इसके बाद भाई बहन से तिलक कराता है और वहां से चल देता है | भाई के चेहरे पर मायूसी देखकर बहन कारण पूछती है, तो वो उसे सारी बात बताता है |  उसके बाद बहन कहती है कि कुछ देर रुको भाई, मैं अभी पानी पीकर आती हूं |

इसके बाद वो एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है | वो बुढ़िया को सारी बात बताती है, तब बुढ़िया कहती है कि ये तेरे ही पिछले जन्म का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है | अगर तू अपने भाई की शादी होने तक उसकी विपदा को टाल देगी, तो तेरे भाई को कुछ नहीं होगा |

इसके बाद वह अपने भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुझे घर छोड़ने के लिए चलूंगी | रास्ते में वो शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लेकर जाती है और सबसे किसी तरह अपने भाई को बचा लेती है | इसके बाद भाई का विवाह करवाती है और भाई को सारी बलाओं से बचा लेती है | कहा जाता है कि इस दिन इस कथा को सुनने के बाद ही भाई का तिलक करना चाहिए | इससे भाई पर आयी सारी मुसीबतें टल जाती हैं और उसे लंबी उम्र प्राप्त होती है |