लंदन । एक ताजा अध्ययन में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि अंटार्कटिका का डूम्स-डे ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है। ये ग्लेशियर पिछले 5,500 साल में सबसे तेजी से पिघल रहा है। ये ग्लेशियर ब्रिटेन के आकार का है। अगर ये पिघल जाता है तो समुद्र तल में नाटकीय ढंग से बदलाव होगा।  अंटार्कटिका बर्फ के दो हिस्सों में बंटा हुआ है। इसमें से एक को पूर्वी आइस शीट और पश्चिमी शीट कहा जाता है। अंटार्कटिक की पश्चिमी आइस शीट में थ्वाइट्स और पाइन आइलैंड ग्लेशियर हैं। थ्वाइट्स के तेजी से पिघलने के चलते इसे डूम्सडे नाम दिया गया है। नई स्टडी में पता चला है कि दोनों ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इनके पिघलने की दर 5,500 सालों में अब तक सबसे ज्यादा है। 
दोनों ग्लेशियर के विशालकाय आकार को देखते हुए माना जा रहा है कि अगर ये पिघलते हैं तो दुनिया में समुद्र स्तर में बढ़ोतरी होगी।इंपीरियल कॉलेज लंदन के पृथ्वी वैज्ञानिक और इस अध्ययन के सह लेखक डायलन रूड ने एक बयान में कहा कि पिछले कुछ शताब्दियों में ग्लेशियर का पिघलना स्थिर रहा है। लेकिन वर्तमान समय में इनके पिघलने की दर तेज हो रही है। रूड आगे बताते हैं, 'बर्फ पिघलने की बढ़ी हुई दर इस बात की ओर इशारा है कि पश्चिम अंटार्कटिक आइस शीट की धमनिया धरती की गर्मी के कारण टूट रही हैं। समुद्र का लेवल तेजी से बढ़ रही है जो भविष्य के लिए अच्छा नहीं होगा।' रूड ने आगे कहा कि इससे पहले देर हो जाए हमें तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। जिस रफ्तार से ये ग्लेशियर पिघल रहे हैं उस हिसाब से अगले कुछ सदियों में दुनिया के समुद्र स्तर में 3.4 मीटर की बढ़ोतरी हो जाएगी। हालांकि ये दोनों ग्लेशियर अभी भी समुद्र स्तर के बढ़ाने में अपनी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।